Deeksha Hindi Book Pdf Download
All New hindi book pdf free download, दीक्षा | Deeksha download pdf in hindi | Gopinath Kaviraj Books PDF| दीक्षा, Deeksha Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
दीक्षा के सम्बन्ध में शास्त्रों का निर्देश यह है कि आध्यात्मिक जीवन-पथ पर उन्नति करने के लिए दीक्षा ग्रहण करना साधारणतः आवश्यक है। वास्तव में जीव शिव से अभिन्न है। कारण स्वयं भगवान् लीला करने के लिए जीव बनकर मायिक जगत् में प्रकट हुए हैं। और जिस मत से जीव नित्य और भगवत्स्वरूप का ही अंशस्वरूप है, उस मत से भी अनादिकाल से इस मायिक जगत् में जीव संसार-भ्रमण में व्याप्त है। इसीलिए आचार्यों ने जीव को अनादि बहिर्मुख के रूप में वर्णन किया है। दोनों ही मतों से जीव के नित्यस्वरूप में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए आत्मतत्त्व का अपरोक्ष ज्ञान गुरु से प्राप्त हो जाता है। जिस प्रक्रिया के द्वारा गुरु शिष्य को यह अपरोक्ष ज्ञानदान करते हैं, उसी का नाम है-दीक्षा।
कुलार्णव तंत्र में है- "दीयते विमलं ज्ञानं क्षीयते कर्मवासना। तस्मात् दीक्षेति सा प्रोक्ता ज्ञानिभिः तंत्रवेदिभिः" अर्थात् विमल ज्ञान प्राप्ति और कर्म-वासना का क्षय, जब तक ये दोनों सम्पन्न नहीं होंगे तब तक दीक्षा की वास्तविक सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। किसी-किसी तंत्र में स्पष्ट वर्णन है कि पापक्षय और शिवत्त्व-योजन, ये दोनों व्यापार ही दीक्षा के लक्षण हैं। अर्थात् जिस ज्ञान के द्वारा पाप का क्षय होता है एवं शिवत्त्व-लाभ होता है, वही वास्तविक दिव्यविज्ञान है। कैवल्य-मुक्ति दीक्षा का फल नहीं है। कारण दीक्षा के व्यतिरेक से आत्मा और अनात्मा का विवेकज्ञान उत्पन्न होते ही आत्मा कैवल्य-मुक्ति प्राप्त कर सकती है। किन्तु उससे परमात्मा के साथ आत्मा की योगस्थापना नहीं होती।
फलतः शिवस्वरूप जीवात्मा के लिए इस प्रकार का कैवल्य परम पुरुषार्थ के रूप में विवेर्चित नहीं हो सकता। शास्त्र का सिद्धान्त यह है-जीव दीक्षा के अलावा अन्य किसी उपाय से पौरुष-अज्ञान से मुक्त नहीं हो सकता एवं यह सत्य है कि पौरुष-अज्ञान बिना निवृत्त हुए शिवरूपी जीव की शिवत्व प्रतिष्ठा असम्भव है। पौरुष अज्ञान निवृत्त होने पर भी जब तक जीव बौद्धिक अज्ञान से निवृत्त नहीं होगा तब तक दीक्षा से प्राप्त अपने शिवत्व की उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए साधना के द्वारा बौद्धिक ज्ञान उत्पन्न करके बौद्धिक अज्ञान को निवृत्त करना पड़ता है। जब गुरु कृपा प्राप्त निजका शिवस्वरूप अपने सामने प्रकट होता है तब जीव अपने को शिवरूप में अनुभव करता है और जीवन्मुक्ति का रसास्वादन करता है। प्रारब्ध के भोग के बाद देहत्याग के समय पौरुषज्ञान उदय होता है। तब वास्तविक शिवरूप में स्थिति होती है। यह दीक्षा व्यापार आत्मा के निज के दिव्यज्ञान उन्मेष के द्वार-स्वरूप है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
---|---|
Name of Book: | दीक्षा | Deeksha |
Author: | Pt. Gopinath Kaviraj |
Total pages: | 168 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 12 ~ MB |
Download Status: | Available |
= हमारी वेबसाइट से जुड़ें = | ||
---|---|---|
Follow Us | ||
Follow Us | ||
Telegram | Join Our Channel | |
Follow Us | ||
YouTube चैनल | Subscribe Us |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Deeksha Hindi Book Pdf, Hindi Book Deeksha Pdf Download, Hindi Book Free Deeksha, Deeksha Hindi Book Pdf, Deeksha Hindi Book Pdf Free Download, Deeksha Hindi E-book Pdf, Deeksha Hindi Ebook Pdf Free, Deeksha Hindi Books Pdf Free Download.