ध्यान और ज्ञान | DHYAN AUR GYAN HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Dhyan Aur Gyan Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

आजकलके उदाहरणके लिए मैं सुनाता हूँ-जैसे अंग्रेजीमें 'कल्चर' शब्द है। उसके लिए संस्कृतमें और हिन्दीमें' संस्कृति' शब्दका प्रयोग करते हैं। संस्कृति शब्दका अर्थ निराला है। और 'कल्चर' शब्दका अर्थ निराला है।

जैसे 'रिलीजन' शब्दका प्रयोग करते हैं, तो हमारा संस्कृतका जो 'धर्म' शब्द है, उसका अर्थ 'रिलीजन 'में नहीं आता है। तो आजकल बात यह हो गयी कि संस्कृत भाषाकी जो मूल परम्परा है और उसमें जिन शब्दोंका जिस ढंगसे प्रयोग होता रहा है, उसको छोड़कर यदि अंग्रेजीमें से जो आये हुए शब्द हैं, उनके अर्थके रूपमें हम शब्दोंका अर्थ ग्रहण करते हैं, तो थोड़ी उलटबासी हो जाती है। अंग्रेजीके किसी शब्दके अनुवादके रूपमें आप यदि 'ध्यान' और 'ज्ञान' शब्दका अनुवाद करते हैं और हमारी बात उससे न मिलती हो तो आप उसको उलटा न समझना। और यदि आपने संस्कृतके 'ध्यान' और 'ज्ञान' शब्दको समझकर और अंग्रेजीमें उसका अर्थ लिया है, तब आपसे हमारी बातका कहीं विरोध नहीं पड़ेगा।

पहली बात यह है कि हमारा 'ध्यान' और 'ज्ञान' शब्द परम्परागत है और एक खास अर्थमें उसका प्रयोग होता है। ये पारिभाषिक शब्द हैं संस्कृत भाषाके। अब आपको उदाहरणके रूपसे यहींसे प्रारम्भ करते हैं।

जैसे, ये देखो-फूल, एक पत्ता, रूमाल। एक हाथमें तीन चीजें आयीं, यह हाथकी चंचलता हुई। अब हाथकी चंचलतामें मनकी चंचलता तो है ही और ज्ञानकी चंचलता भी है। वृत्ति ज्ञान, बहता हुआ ज्ञान। वृत्तियोंकी चंचलता भी है, अब तीन चीज मान लो न उठावें, चुपचाप हाथ बैठा है तो हाथ जड़ है ऐसा भी हो सकता है। और, हाथ चेतनसे एक हो गया है, ऐसा भी हो सकता है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:ध्यान और ज्ञान | Dhyan Aur Gyan
Author:Swami Akhandananda Saraswati
Total pages:309
Language: हिंदी | Hindi
Size:17 ~ MB
Download Status:Available


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