Nath Sampradaya Aur Sukhma Veda Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
स्वतन्त्रता से पहले भारत में शिक्षा की बहुत कमी थी। नाथ सम्प्रदाय की शिक्षा इससे कुछ भिन्न थी। नाथ सम्प्रदाय ने आदिकाल से शब्द को गुरु माना है और इसके महत्व को समझा है। शब्द की सर्वोच्च सत्ता नाथ साहित्य में स्वीकार की गई, इसलिए शब्द को गुरु माना गया है। नाथ सिद्धों की मार्यादा एवं आचरणों में शब्द का महत्व उनकी श्वाच्छोश्वांस (अजपा जाप) में पैठा था। इसके अतिरिक्त शब्द को निराकार मानने में नाथ सम्प्रदाय की विशेष आस्था थी। शब्द को आकारबद्ध या लेखबद्ध करना घोर पाप माना जाता था। आज भी यह मर्यादा नाथ योगियों की शिव गोरक्ष योग जमातों में उपस्थित है। आकारहीन ध्वनियों को आकार देकर सृष्टि को अनुबन्धित करना, नौ नाथ चौरासी सिद्धों और देव पुरुषों को लिखने और चुनौती देने के समान अपराध था। जो भी लेखन होते थे बहुत गुप्त होते थे तथा इसका पता चलने पर लेखनकर्त्ता को नाथ सम्प्रदाय से बाहर निकाल दिया जाता था। इस पर भी गुप्त रूप से योगियों के परम्परागत स्थानों पर मंत्र आदि लिखकर सुरक्षित रखने की अपवाद के रूप में गूढ़ प्रथा थी । इससे पहले सिद्धों के काल में साहित्य का मौखिक और फिर लिखित में विस्तार था।
किन्हीं अज्ञात कारणों अथवा नाथ साहित्य के उद्देश्य को भटकाव से बचाने या उसकी पहचान बनाये रखने के लिये मंत्र लेखन पर प्रतिबन्ध लगाया गया ऐसा अनुमान होता है। प्रत्यक्ष रूप से लेखन प्रतिबन्ध क॑ कारण नाथ साहित्य का बहुत बड़ा भाग लुप्त हो गया था। स्वतंत्रता के बाद इस समस्या को शिक्षित अनुयायियों ने गम्भीरता से लिया और नाथ सम्प्रदाय सम्बन्धी साहित्य को प्रकाशित करने का समय समय पर साहस दिखाया। इन में गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर के प्रात: स्मरणीय परम पूज्य पीठाधीश्वर महन्त दिग्विजय नाथजी ने अपने गुरु प्रातः स्मरणीय परम पूज्य पीठाधीश्वर महंत योगी गंभीर नाथजी के सान्निध्य में महत्वपूर्ण प्रकाशन करवाये तथा उनके पश्चात् उनके उत्तराधिकारी गोरक्ष पीठाधीश्वर महन्त अवेद्य नाथ जी का नाथ साहित्य के प्रकाशन में सबसे अधिक व उल्लेखनीय योगदान रहा। आप अपने प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरुदेव गोरक्ष पीठाधीश्वर के नेतृत्व में कई ग्रन्थों का सम्पादन एवं प्रकाशन करा चुके थे। योग वाणी का सतत् प्रकाशन गत पांच दशकों से अधिक समय से उनके द्वारा जारी है। अंग्रेजी काल में दो पीढ़ी पूर्व के मस्तनाथ पीठ के अंग्रेज शासन द्वारा केसरे हिन्द की पददवी प्राप्त प्रातःस्मरणीय परम पूज्य महन्त योगी पीर पूर्णनाथ जी मठ अस्थल बोहर, रोहतक ने गोरक्ष सिद्ध सिद्धान्त पद्धति तथा गोरक्ष मंत्रावली....
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | नाथ सम्प्रदाय और सूक्ष्म वेद | Nath Sampradaya Aur Sukhma Veda |
Author: | Mahanta Yogi Sabai Nath |
Total pages: | 212 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 48 ~ MB |
Download Status: | Available |
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