Swar Se Samadhi Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
इस पुस्तक 'स्वर से समाधि' के लेखक स्वामी कृष्णानंदजी, एक सिद्ध पुरुष हैं। सत्य की खोज में इन्होंने अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया। इन्होंने बिहार प्रदेश में जन्म लिया और एम०एस-सी०, एम०ए० और बी०एल० की डिग्रियाँ प्राप्त कीं। इन डिग्रियों को प्राप्त करने के बाद भी इनको ऐसा अनुभव हुआ कि जैसे जीवन में कुछ भी नहीं पाया और इस पिपासा को शान्त करने के लिए वर्षों तक जगह-जगह भटकते रहे। विद्यार्थी जीवन समाप्त करने के बाद ये रजनीश के आश्रम पूना गए और वहाँ उनके सानिध्य में कुछ समय तक रहे। आचार्य रजनीश द्वारा दिये गए व्याख्यानों को सुना और आचार्य रजनीश द्वारा लिखी गई अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया किन्तु फिर भी इनको शान्ति नहीं मिली और उस शान्ति की खोज में आनन्दमूर्ति के पास पश्चिम बंगाल गए। वहाँ पर भी ये वर्षों तक रहे तथा तंत्र-विद्या का अभ्यास किया फिर भी शान्ति प्राप्त न होने पर साईंबाबा के पास गए फिर वहाँ से वर्षों तक हिमालय में योगियों के पीछे घूमते रहे और फिर भी शान्ति और सत्य की तलाश जारी रही। तत्पश्चात् ये असम में कामाक्ष्या क्षेत्र में भटकते रहे। उस समय इन्होंने राजयोग, हठयोग, तांत्रिक साधना, पतंजलियोग इत्यादि अनेक योगों का अभ्यास किया किन्तु अन्त में ये कबीरपंथी स्वामी आत्मादास, जो एक हठयोगी भी थे, के पास गए और वहाँ उनकी शिष्यता स्वीकार की। इसी प्रकार धीरे-धीरे समयानुसार इनको आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और अब शेष जीवन ये आनन्द की अनुभूति में बिता रहे हैं। बिहार में बक्सर, उत्तर प्रदेश में वाराणसी और दिल्ली में कुछ काल तक समय व्यतीत करते हुए लोगों को साधना और ज्ञान का उपदेश दे रहे हैं।
इस पुस्तक 'स्वर से समाधि' में स्वामी कृष्णानन्दजी ने अपने अनुभव के आधार पर बतलाया है कि ज्ञान और सत्य की प्राप्ति 'स्वर साधना' से ही सहजयोग के जरिये प्राप्त हो सकती है। किसी भी आध्यात्मिक साधना का उद्देश्य मुख्य रूप से यह होता है कि आत्मिक आनन्द की अनुभूति की जाये। इस आनन्द का अनुभव समाधि की स्थिति में ही होता है, चाहे वह हठयोग की समाधि हो अथवा सहजयोग की। कबीर ने सहजयोग की समाधि को ही सर्वोत्तम बतलाया है। चलते- फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते ज्ञानी उन्मनी अवस्था में स्थित रहता है जो कि सुख-दुःख से ऊपर आनन्द की स्थिति होती है। योगियों की ऐसी मान्यता है कि जब तक कुण्डलिनी शक्ति जो कि मूलाधार में साधारणतः सुप्तावस्था में निवास.......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | स्वर से समाधि | Swar Se Samadhi |
Author: | Swami Krishnanand Ji Maharaj |
Total pages: | 190 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 73 ~ MB |
Download Status: | Available |
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