Yog Darshan Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
महर्षि पतञ्जलि अध्यात्मिक विद्या के रहस्यमय महापुरुष है। वे देखने में विराधाभाषी परन्तु परम विवेकी, पूर्ण वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले साथ में ही प्रेम एवं समर्पण का भी पाठ पढ़ाने वाले हैं। वे साधना के पथ पर संघर्ष एवं समर्पण को, प्रार्थना एवं पुरुषार्थ को बराबर महत्त्व देते हैं। ये कहते हैं मन से पार जाने के लिए अर्थात् वृत्तिनिरोध के लिए अभ्यास एवं वैराग्य की आवश्यकता है, 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः', 'अभ्यास-वैराग्याभ्यां तन्निरोधः। महर्षि पतंजलि कहते हैं योगत्व को पाने के लिए, स्वरूपोपलब्धि के लिए 'स तु दीर्घकाल नैरन्तर्य- सत्कारासेवितो दृढभूमिः' लम्बे समय तक निरन्तर श्रद्धापूर्वक यात्रा करनी पड़ेगी, तभी साधना का लक्ष्य तुम पा सकोगे। अगले ही क्षण वे कह उठते हैं कि आत्मदर्शन के लिए समय की अपेक्षा समर्पण अधिक महत्त्वपूर्ण है, वे कहते हैं 'ईश्वरप्राणिधानाद् वा' 'तीव्रसंवेगनामासन्नः' जिस दिन तुम्हारे भीतर समर्पण अधिक होगा, जितना तीव्र संकल्प होगा, लक्ष्य के प्रति भूख जितनी प्रबल होगी, जितना गहरा प्रेम व मुमुक्षत्य होगा, जितनी आस्था बलवती होगी, उतना ही शीघ्र तुम स्वरूप को उपलब्ध हो जाओगे। महर्षि पतञ्जलि की सम्पूर्ण साधना इस सत्य पर केन्द्रित है कि तुम्हारे ही भीतर सब कुछ है, वेद, शास्त्र, ज्ञान, भगवान्, आनन्द व शान्ति के तुम स्वयं केन्द्र हो। महर्षि पतञ्जलि का योग मन से पार प्रारम्भ होता है। वे उच्छिष्ट के संवाहक नहीं, वे परम्पराओं के निर्वाहक नहीं, वे विध्वंसक है, वे तुम्हारे आग्रहों को तोड़ते हैं, वे तुम्हें सब कुछ छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
वे कहते हैं 'प्रमाणविपयर्यविकल्पनिद्रास्मृतयः' प्रमाण, विपयर्य, विकल्प, निद्रा व स्मृति से ऊपर उठी। व्यक्ति जीता है प्रमाणों में, उसे प्रमाण चाहिए बेदों का, शास्त्रों का. उपनिषदों का, कुरान, पुराण, गीता व बाइबल के प्रमाण के बिना यह किसी सत्य को, धर्म को मानने के लिए तैयार नहीं होता। मनुष्य आँखों से देखकर, कानों से सुनकर या अनुमान आदि प्रमाणों को ही ज्ञान का जीवन का केन्द्र मानकर बैठ गया है। इससे आगे वह सोचने के लिए तैयार ही नहीं है। महर्षि पतंजलि कहते हैं कि तुम सब प्रमाणों को छोड़कर आगे बढ़ जाओ। जब तक तुम आत्म शास्त्र को.......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | योग दर्शन | Yog Darshan |
Author: | Maharshi Patanjali |
Total pages: | 140 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 74 ~ MB |
Download Status: | Available |
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