Bridh Svacchanda Sangrah Tantra Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
काश्मीर की अब लुप्तप्राय (अथवा कहें, संभवतः पूर्णतया विलुप्त) कौल उपासना पद्धति के इस अतीव दुर्लभ एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ "वृद्धस्वच्छन्दसंग्रह" को प्रथम बार प्रकाश में लाते हुए हमें आन्तरिक प्रसन्नता है। शारदा लिपि के उत्कृष्ट जानकार डॉ. प्रकाश पाण्डेय भारत के शिक्षा मन्त्रालय के अनुदेश पर वर्ष 1986 एवं 1987 में श्रीनगर वि.वि. के इकबाल पुस्तकालय में संरक्षित कुछ अतीव दुर्लभ संस्कृत पाण्डुलिपियों की माइक्रोफिल्मिग् करने के लिये विद्यापीठ द्वारा प्रेषित किये गये थे जहाँ उन्होंने बिना किसी बाह्य सहायता के लगभग 300 ग्रन्थों की माइक्रोफिल्में बनाईं और स्वतः उनको रासायनिक विधि द्वारा परिषिद्ध (develop) भी किया। उन्हीं दुर्लभ ग्रन्थों के रत्नकोष में उन्हें इस "वृद्धस्वच्छन्दसंग्रह" की दो प्राचीन मातृकाएँ भी प्राप्त हुईं जिनके आधार पर उन्होंने इस ग्रन्थ रत्न का कुशल एवं वैदुष्यपूर्ण सम्पादन किया है।
इसके पूर्व भी डॉ. प्रकाश पाण्डेय तान्त्रिक साहित्य से संबद्ध तीन अन्य ग्रन्थ (कालीपूजा पद्धति, मुद्राविमर्श, विन्ध्याचल क्षेत्र का धार्मिक-सामाजिक अध्ययन) प्रकाशित करके विद्वज्जगत् में सम्मान अर्जित कर चुके हैं। माँ विन्ध्यवासिनी के अर्चक-कुल में उत्पन्न होने एवं तान्त्रिक उपासना पद्धति में विधिवत् दीक्षित होने के कारण वे ऐसे गुह्य एवं जटिल ग्रन्थों को सम्पादित करने एवं उन पर व्याख्या लिखने के लिये पूर्णतः अधिकारी भी हैं। वैदिक साहित्य, सर्वविधदर्शन, काव्यशास्त्र एवं इतिहास में भी निर्बाध गति रखने एवं आलोचनात्मक दृष्टि से मण्डित होने के साथ-साथ मौलिक विचारों के भी धनी होने के कारण उनके सभी ग्रन्थ उत्कृष्ट सम्पादन कार्य के उत्तम निदर्शन है।
इस ग्रन्थ की विषयवस्तु अत्यन्त गूढ़ तथा गोप्य है। अदीक्षित जिज्ञामुओं के लिये उसका समझना सरल नहीं है, किन्तु डॉ. पाण्डेय ने ग्रन्थ की भूमिका में उसका सार-संक्षेप अपेक्षाकृत सरल रूप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत कर दिया है, फिर भी अत्यन्त गोप्य विषयों के अति-विशदीकरण से वे विरत रहे हैं। ऐसे विषयों को गुरु कृपैकगम्य मान कर उन्होंने अधिकारियों के लिये छोड़ दिया है।
सम्पूर्ण तान्त्रिक साहित्य 'आगम' परम्परा पर आधारित है। गुरूमुख से शिष्यों की लम्बी परम्परा क्रमशः ऐसा ज्ञान प्राप्त करती चली जाती है, अतः ग्रन्थ की विषय-वस्तु के उद्भव के काल का आकलन असंभव है; फिर भी सम्पाद्यमान ग्रन्थ में प्राप्य अन्यान्य ग्रन्थों......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | वृद्धस्वच्छन्दसङ्गहतन्त्रम् | Bridh Svacchanda Sangrah Tantra |
Author: | Dr. Prakash Pandey |
Total pages: | 231 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 30 ~ MB |
Download Status: | Available |
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