Gayatri Tantra Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
नारद उवाच
सदाचारविधिर्देव भवता र्वाणता प्रभो । तस्याप्यतुलमाहात्म्यं सर्वपापविनाशनम् ।। १ ।। श्रुतं भवन्मुखाम्भोजच्युतं देवीकथामृतम् । व्रतानि यानि चोक्तानि चान्द्रायणमुखानि ते ॥ २ ॥ दुःखसाध्यानि जानीमः कर्तृसाध्यानि तानि च । तदस्मात्सांप्रतं यत्तु सुखसाध्यं शरीरिणाम् ।। ३ ।। देवीप्रसादजनकं सुखानुष्ठानसिद्धिदम् । तत्कर्म वद मे स्वामिन्कृपापूर्वसुरेश्वर ।। ४ ।। सदाचारविधौ यश्च गायत्रीविधिरीरितः । तस्मिन्मुख्यतमं कि स्यात्किवा पुण्याधिकप्रदम् ।। ५ ।। ये गायत्रीगता वर्णास्तत्त्वसंख्यास्त्वरिताः । तेषां के ऋषयः प्रोक्ताः कानि छन्दांसि वै मुने ।॥ ६ ॥ तेषां का देवताः प्रोक्ताः सर्वे कथय मे प्रभो ।
महत्कौतूहलं मे च मानसे परिवर्त्तते ॥ ७ ॥
नारदजी प्रश्न करते हैं कि, हे प्रभो ! आपने सदाचारविधि अर्णन कर उसके अतुल और सर्वपाप नष्ट करने वाले माहात्म्य भी वर्णन किये। उस तुम्हारे मुखाम्भोजसे निकले हुए देवीकथामृत को सुना और चान्द्रायणादि व्रतभी आपने कहे, पर वे सब दुःख- साध्य और कर्तृ साध्य हैं। अतः अब जो कोई उपाय सुखसाध्य हो और देवीको प्रसन्न करे और सुखपूर्वक अनुष्ठानसे सिद्ध हो, हे स्वामिन् ! वही कर्म कृपापूर्वक कहिये और सदाचारविधिमें जो आपने गायत्रीकी विधि कही उसमें मुख्यतम क्या है ? और पुण्याधिक देनेवाला क्या है और जो आपने गायत्रीमें २४ अक्षर बताये थे, उनके ऋषि कौन-कौन हैं, उनके छन्द कौन-कौन हैं और उनके देवता कौन-कौन हैं, वह हमें सुनायें। हमारे मनमें महाकौतूहल है ।।१-७ ।।
श्रीनारायण उवाच
कुर्यादन्यन्न वा कुर्यादनुष्ठानादिकं तथा । गायत्रीमात्रनिष्ठस्तु कृतकृत्यो भवेद्विजः ।। ८ ।। संध्यासु चार्घ्यदानं च गायत्रीजपमेव च । सहस्त्रत्रितयं कुर्वन्सुरैः पूज्यो भवेन्मुने ।॥ ९ ॥ न्यासान् करोतु वा मा वा गायत्रीमेव चाभ्यसेत् । ध्यात्वा निर्व्याजया वृत्त्या सच्चिदानन्दरूपिणीम् ।। १० ।। यदक्षरकसंसिद्धेः स्पर्धते ब्राह्मणोत्तमः । हरिशंकरकंजोत्थसूर्यचन्द्रहुताशनैः ।। ११ ।। अथातः श्रूयतां ब्रह्मन्वर्णऋष्यादिकांस्तथा । छन्दांसि देवतास्तद्वत्क्रमात्तत्वानि चैव हि ॥ १२ ॥ वामदेवोऽत्रिर्वशिष्ठः शुक्रः कण्वः पराशरः । विश्वामित्रो महातेजाः कपिलः शौनको महान ।। १३ ।।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | गायत्री तंत्र | Gayatri Tantra |
Author: | Gangavishnu Srikrushna Das |
Total pages: | 98 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 40 ~ MB |
Download Status: | Available |
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