सर्व संग्रह | SARVA SANGRAHA HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Sarva Sangraha Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

उक्त वाक्य असंगत होनेपरभी ऐश्वरीय शक्तिसम्पन्न घटोद्भव (अगस्ति) आदि ऋषियोंसे समुद्रपानादि द्वारा संगत हो चुका है, आशय यह है कि शक्तिसम्पन्न पुरुषोंकी क्रियायें असंगतको संगत कर दिखाती हैं. पाठक गण ! ध्यान देकर देखे कि इस 'सर्वसंग्रह' नामक ज्योतिषग्रन्थके रचयिता अवन्ती (उज्जयिनी निवासी पं० दीनानाथजी हैं, पण्डितजीकी वासभूमि (उज्जयिनी से प्रायः भारत वर्षके मनुष्यमात्र परिचित होंगे कारण कि इसी उज्जयिनी (अवन्ती) नगरमें साक्षात् परब्रह्म सचिदानन्दस्वरूप नरविग्रहधारी "श्रीकृष्ण" भगवान्‌भी " सान्दीपनि " नामक गुरुसे चौसठ दिनमें चौंसठ कलाओंको सीखे थे। तथा गुरुशुश्रूषाकी पराकाष्ठा काष्ठ तोडकर लाने आदिस गुरुको प्रसन्न रखते थे । आशय यह है कि इस अवन्ती नगरमें प्राचीनकालसही बड बडे दुर्द्धर्ष विद्वान् होते आये हैं।

एक तो साधारण तौरसे उक्त नगरके माहात्म्योंसे हरेक पुराण विभूषित हो रहा है और स्वयं महाकालभी यहाँ विराज रहे हैं जिससे उक्त नगरका " अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मुक्तिदायिकाः" इत्यादि वाक्योंद्वारा नामस्मरण मात्रसेभी संसारी मनुष्योंको जो लाभ पहुँच रहाहै सो प्रकटद्दी है। द्वितीय इस नगरमें समय समयपर ऐसे ऐसे विद्वान् उत्पन्न होते हैं जो कि अपनी विद्वत्ताद्वारा अखिल भारतवासियोंको लाम पहुँचाये बिना नहीं रहते। अस्तु यहाँ नगरकी या नगर निवासी विद्वानों की प्रशंसासे कुछ मतलब नहीं है केवल यह कहना है कि इसी उज्जयिनी नगरमें सान्दीपत्री (श्रीकृष्णजीके गुरु) के कुलमें उत्पन्न होकर पं० दीनानाथजीने इस " सर्वसंग्रह” नामक ग्रन्थको रचकर जगत्‌को जो लाभ पहुंचाये' हैं सो पाठकगण 'एक बार समस्त ग्रन्थका अवलोकन करके स्वयं समझेंगे। यह ग्रन्थ " यया नाम तथा गुणाः" इस कहावतसे भरपूर है अर्थात् जैसा सर्वसंग्रह इसका नाम है वैसेही इसमें गुणभी हैं, कारण कि ज्योतिषशास्त्र १ मुहूत्र्त्त, २ जातक, ३ ताजिक, ४ गणित ५ सिद्धान्त, ६ संहिता इन छः अंगोंसे विभूषित है । जिस प्रकार शरीरके षडंग ( १ मुख, २ नेत्र, ३ नाक, ४ कान, ५ हाथ, ६ पांव) से पृथक् पृथक् काम किये जाते हैं ठीक इसी तरह ज्योतिष शास्त्रके षडंगों (छहों अंगोंसे) पृथक पृथकू (जुदे जुदे) काम किये जाते हैं। जैसे कि १ मुहूर्त्तग्रन्थोंद्वारा गर्भाधान......

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:सर्व संग्रह | Sarva Sangraha
Author:Pt. Shri Bacchu Jha
Total pages:254
Language: हिंदी | Hindi
Size:115 ~ MB
Download Status:Available


Name of the Book is : Sarva Sangraha | This Book is written by Pt. Shri Bacchu Jha | The size of this book is 115 MB | This Book has 254 Pages | The Download link of the book "Sarva Sangraha " is given Below, you can downlaod Sarva Sangraha from the below link for free.

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