शालिग्राम निघण्टु भूषणम् 7-8 | SHALIGRAM NIGHANTU BHUSHANAM 7-8 HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Shaligram Nighantu Bhushanam 7-8 Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

अर्शरोग मनुष्यों के शरीर को दुर्बल करते हैं, बल को वाय करते हैं, नेत्रादि इंद्रियों की शक्ति को हरण करते हैं, सभी अंगों में पीड़ा उत्पन्न करते हैं, और जीवन की समस्त संभावनाओं को समाप्त कर देते हैं; अधिक बढ़ने पर शीघ्र ही प्राणों को हर लेते हैं। जब इस प्रकार के रोग शरीर में विद्यमान होते हैं, तो फिर प्राणियों की कुशलता कहां? इस कारण तुम, सर्व रोगों के इलाज के लिए तत्पर और पूर्ण विद्वान, एकत्र हुए हो, तो रोगों के दूर करने का कोई उपाय विचारते। इस प्रकार भारद्वाज के वचनों को सुनकर सब ऋषि अत्यंत हर्षित होकर उच्च स्वर में शब्द करने लगे और भारद्वाजजी से बोले कि, हे भगवन्! आप ही इस कार्य को करने के योग्य हैं। इस कारण तुम परिश्रम करके इंद्र के पास जाओ और आयुर्वेद पढ़ो, जिससे प्रजाओं के लोग रोगरहित हो और भय से मुक्त हों। इस प्रकार जब ऋषियों ने विनयपूर्वक आर्चना की, तब उनकी आज्ञा अनुसार मुनिपुंगव भारद्वाज इंद्र के पास गए, इंद्र को स्तुति की और ऋषियों के वचन कहे। फिर महामाहे इंद्र ने भारद्वाज को आयुर्वेद पढ़ाया, जिसके प्रभाव से रोगरहित हो गए।

भारद्वाज ने थोड़े ही दिनों में आयुर्वेद पढ़कर उसका सार समझा। इसी आयुर्वेद के प्रभाव से भारद्वाज मुनि रोगों से मुक्त हो गए और दीर्घायु प्राप्त की। अन्य मुनियों को भी रोगरहित कर पूर्णायु किया। पश्चात् आत्रेय मुनि ने भी इंद्र से आयुर्वेद पढ़ा और अपने नाम की संहिता रची। अग्निवेश, भैद, जातुकर्षप, पराशर, क्षीरपाणि और हारिवक्त ने भी अपनी-अपनी संहिताएं तैयार कीं। इन छः शिष्यों ने अपनी-अपनी संहिताएं प्रस्तुत कीं। आत्रेय ने अत्यंत प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। जहां-जहां संहिताएं प्रचलित हैं, वे संसार में प्रसिद्ध और उपयोगी हैं, परंतु इनमें सबसे प्रधान अग्निवेश की संहिता उत्कृष्टता से सभी को आकर्षित करने वाली है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:शालिग्राम निघण्टु भूषणम् 7-8 | Shaligram Nighantu Bhushanam 7-8
Author:Khemraj Publishers
Total pages:1032
Language: हिंदी | Hindi
Size:410 ~ MB
Download Status:Available


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