Shiva Tantra Rahasya Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
केसर-कुंकुम से रञ्जित काश्मीर की भूमि में पल्लवित-पुष्पित शैवदर्शन को "प्रत्यभिज्ञादर्शन" की संज्ञा दिलाने का श्रेय आचार्य उत्पलदेव की "ईश्वरप्रत्यभिज्ञाकारिका" को है। इस ग्रन्थ पर उन्होंने स्वयं वृत्ति लिखकर इसके सिद्धान्तों को स्पष्ट किया है और उनके प्रशिष्य अभिनवगुप्त ने इस पर विमर्शिनी और विवृत्तिविमर्शिनी लिखकर उन सिद्धान्तों को व्याख्या और पुष्टि की है।
यह दर्शन परमतत्त्व के स्तर पर चित्, चैतन्य अथवा संवित् के पूर्ण स्वातन्त्र्य की प्रतिष्ठा करता है- "स्वातन्त्र्यमेव च अनन्यमुखप्रेक्षित्वम् आत्मनः स्वरूपम्" (ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविमर्शिनी १.८.११)। किसी अन्य की अपेक्षा न रखना ही स्वातन्त्र्य है। यही कारण है कि परम शिव को सृष्टि के लिए भी किसी अन्य शक्ति, माया अथवा प्रकृति की आवश्यकता नहीं है- "शक्तिमतः शक्तित्वं नाम स्वातन्त्र्यम्" (शिवदृष्टिवृत्ति, पृ० ९७)। प्रकाशरूप शिव की अहंविमर्शात्मक शक्ति उससे उसी प्रकार अभिन्न है, जिस प्रकार अग्नि से उसकी दाहकता-
"न शिवः शक्तिरहितो न शक्तिर्व्यतिरेकिणी। तादात्म्यमनयोर्नित्यं वह्निदाहिकयोखि॥"
एक सिक्के के दो पहलुओं के समान अभिन्न शक्तिमान् और शक्ति के द्वारा सृष्टि प्रक्रिया होने के कारण परमतत्त्व के स्तर पर किसी विकार की कोई सम्भावना नहीं है। यहाँ पर सृष्टि व प्रलय के लिए उन्मीलन व निमीलन पदों का प्रयोग किया गया है, जिनका अर्थ है अन्तः स्थित का बाह्य प्रकाशन व पुनः स्वयं में विलय। "उन्मीलनं च अवस्थितस्यैव प्रकटीकरणम्" यह प्रकटीकरण पूर्ण स्वतन्त्र शिव अपने स्वातन्त्र्य की अभिव्यक्ति के लिए लीलावश करता ही रहता है। परमेश्वर के कार्य प्रायः सृष्टि स्थिति और संहार स्वीकार किए गए हैं। इस दर्शन का परमात्मा पञ्चकृत्यकारी है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के साथ ही अनुग्रह और निग्रह करने में भी समर्थ है। भक्तों पर अनुग्रह और दुष्टों के निग्रह की यह सामर्थ्य ही उसे ऐश्वर्यशाली परमेश्वर सिद्ध करती है। यह परमेश्वर अपने पूर्ण स्वतन्त्र, सर्वव्यापी स्वरूप को स्वयं आच्छादित करके संकुचित, परतन्त्र पशुरूप में आभासित करता है और अपनी ही अनुग्रह शक्ति अथवा शक्तिपात के माध्यम से उस पाशबद्ध पशु को अपने पति रूप का प्रत्यभिज्ञान करवाता है। यह प्रत्यभिज्ञा कोई नवीन ज्ञान नहीं.......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | शिव तंत्र रहस्य | Shiva Tantra Rahasya |
Author: | Dr. Rachna Shekavat |
Total pages: | 300 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 62 ~ MB |
Download Status: | Available |
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