श्रीमद्भागवत गीता | SRIMAD BHAGAVAT GITA HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Srimad Bhagavat Gita

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

श्रीकृष्ण द्वैपायन महर्षि वेद व्यास महाभारत ग्रन्थ के रचयिता तथा अठ्‌ठारह पुराणों के वक्ता और श्रीमद् भागवत संहिता के निर्माता अपनी दिव्य व्यास- घोषणा कर रहे है:-

एकम् शास्त्रम् देवकी पुत्र गीतम् 'देवकी पुत्र श्रीकृष्ण का 'श्रीमद् भगवद्गीता' ही एक मात्र महान धर्मशास्त्र है; यह वेदार्थसार संग्रह है। तथा गीता को सुगीत कर लेना (गीता सुगीता कर्तव्यम्) मानव जीवन का परम कर्तव्य है। किम् अन्य शास्त्रे विस्तरे; अन्य शास्त्रों के विस्तार से क्या प्रयोजन है?

भगवान श्रीकृष्ण अपने परम वचन अर्जुन को सुना रहे हैं - गीता मे हृदयम् पार्थ ! हे पार्थ ! गीता मेरा हृदय है। वांगमयी मूर्ति ईश्वरीय गीता साक्षात् अक्षरों की (वांगमयी) ईश्वरीय मूर्ति है।

पर-ब्रह्म श्रीकृष्ण गीता महिमा का गान कर रहे हैं हे अर्जुन ! जो पुरुष मेरे इस रहस्य युक्त गोपनीय गीता शास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा वह निसन्देह ! मुझको ही प्राप्त होगा।

श्री भगवान परम वक्तव्य में मानव को आश्वासन दे रहे हैं "हे पार्थ ! गीता प्रचार से बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं हैं तथा पृथ्वी भर में उससे बढ़कर 'मेरा प्रिय' दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं। हे पाण्डुनन्दन ! जो पुरुष हम दोनों के इस धर्म सम्वाद रूपी गीता शास्त्र को पढ़ेगा उसके द्वारा मैं ज्ञान यज्ञ से पूजित होऊंगा "ऐसा मेरा मत है"। -

गीता धर्म रथ के सारथी जगद् गुरु श्रीकृष्ण हैं। गीता शास्त्र में कहा गया धर्म ही - वेद (श्रुती) उपनिषद दर्शन ग्रन्थों तथा स्मृति ग्रन्थो में वर्णित सभी धर्मों से सर्वश्रेष्ठ परम धर्म है। गीता समस्त धर्म शास्त्रों का मुकट मणि है। गीता में वर्णित धर्म की विशेषता यह है कि विश्व का दिव्य ज्ञान, अनन्य भक्ति, अलौकिक कर्म के सिद्धान्तों को मानव जीवन के समस्त व्यवहारिक कर्मों में उतार लाना है। गीता का कर्म ज्ञान मानव जीवन का महामंत्र है। कर्म ही परमेश्वर की परा पूजा है। मानव जीवन को-गीता यज्ञ कर्म, यज्ञार्थ कर्म, योग कर्म बना देती है। गीता का कर्म, ज्ञान, भक्ति का तेजस्वी सिद्धान्त मानव जीवन को सुव्यवस्थित, स्वस्थ्य, सुचारु.......

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:श्रीमद्भागवत गीता | Srimad Bhagavat Gita
Author:Gita Gyan Mandal
Total pages:334
Language: हिंदी | Hindi
Size:28 ~ MB
Download Status:Available


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