तन्त्रागम सार सर्वस्व | TANTRAGAMA SARA SARVASVA HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Tantragama Sara Sarvasva Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

हमारा "तन्त्रागमीय धर्म-दर्शन" शीर्षक बृहद् ग्रन्थ दो भागों में सन् २००० और २००१ में प्रकाशित हुआ था। उसके परिशिष्ट के रूप में हम अब इस लघु-ग्रन्थ को "त्तन्त्रागम सार सर्वस्व" के नाम से प्रकाशित करा रहे हैं। इसमें तन्त्रागमशास्त्र के दीक्षा-अभिषेक, मन्त्र-मातृका जैसे कुछ प्रमुख विषयों की संक्षेप में तुलनात्मक समीक्षा की गई है। विस्तार से इन विषयों की जानकारी चाहने वालों को विशिष्ट विषयानुक्रमणियों से सहायता लेनी चाहिए।

इस अनुशीलन से हमें पता चलता है कि विविध विषयों में इनमें पर्याप्त समानता है। हमने यह भी देखा है कि इन पर दीक्षा और पुरश्चरण जैसे प्रसंगों में वैदिक वह्निसमाराधन का भी पर्याप्त प्रभाव है। यज्ञीय भस्म से तिलक करने को भी यहाँ मान्यता दी गई है। इस प्रसंग में बताया गया है कि यज्ञीय भस्म से अपने-अपने सम्प्रदाय के अनुसार तिलक करना चाहिए अथवा भू (भौंह) के मध्य में बिन्दु के रूप में भी उसे लगाया जा सकता है।

अभिनवगुप्त ने आगम पद की बहुत लुभावनी व्याख्या की है कि यह शब्द उस व्यक्ति के लिए उसी शास्त्र का वाचक माना जायगा, जिस पर उसका विश्वास जमा हुआ है। वराहमिहिर ने भी कहा है कि जो व्यक्ति जिस देवता की उपासना करता है, वह उपासना उसे तदुक्त पद्धति से ही करनी चाहिए। भारतीय मान्यता है कि सभी धर्मों के उपदेष्टाओं ने समाधि अवस्था में प्रादुर्भूत प्रातिभ ज्ञान के सहारे इन शास्त्रों को प्राप्त किया था। आगम शब्द की इस परिभाषा के अनुसार हम दुनिया के सभी धर्म- ग्रन्थों को इस नाम से सम्बोधित कर सकते हैं। इस दृष्टिकोण को मान्यता देते हुए भारतीय स्मार्त धर्म ने पंचायतन अथवा षडायतन पूजा की स्वीकार किया है। यहाँ उपासक की अपनी उपास्य देवता को प्रधानता दी गई है और अन्य देवताओं की आराधना उन-उन शास्त्रों में वर्णित पद्धति से करने का विधान है। इस दृष्टिकोण को आज भी हम स्वीकार कर सकते हैं और इसमें आज की दुनिया में प्रचलित सभी धर्मों की, उनके उपास्य देवताओं की उनकी अपनी-अपनी पद्धति से आराधना करने का विधान विकसित कर सकते हैं।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:तन्त्रागम सार सर्वस्व | Tantragama Sara Sarvasva
Author:Vraj Vallabha Dwivedi
Total pages:114
Language: हिंदी | Hindi
Size:17 ~ MB
Download Status:Available


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