Vagabhata Vivechana Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आयुर्वेद में वाग्भट का महत्वपूर्ण स्थान है। वाग्भट नाम के दो प्रमुख आचार्य हुए हैं। प्रथम वाग्भट कदाचित् पाँचवीं या छठी शताब्दी में हुए थे। उनका "अष्टांग-संभव" आयुर्वेद के इतिहास में विशेष गौरवपूर्ण स्थान का अधिकारी है। आयुर्वेद के आचार्यों ने जीवन को पूर्ण रूप से देखने का प्रयास किया है, जिसमें उसके प्राणतत्व, मनस्तत्व और आत्मतत्व को भी ध्यान में रखा गया है।
मनुष्य का शरीर केवल जड़ भौतिक पदार्थों का पिंड मात्र नहीं है; वह उससे कहीं अधिक है। यही कारण है कि आयुर्वेद में समग्र मनुष्य को चिकित्स्य माना गया है। उसकी चिकित्सा में उस सामाजिक परिवेश को भी ध्यान में रखा गया है जो मनुष्य को सुखी या दुखी बनाने में योगदान देता है। यही कारण है कि आयुर्वेद के ग्रंथों में सांस्कृतिक अध्ययन के लिए जो सामग्री मिलती है, वह केवल संयोगवश नहीं है, बल्कि सोच-समझ कर ग्रंथकार द्वारा नियोजित की गई है।
व्याकरण या दर्शन के ग्रंथों में जो सामग्री मिलती है, वह तात्कालिक सामाजिक संदर्भों और वस्तुस्थितियों का अनुमान लगाने में सहायक होती है, लेकिन वे व्याकरण की प्रधान अभिप्रेत वस्तु नहीं हैं। आयुर्वेद के ग्रंथों में बहुत-सी सामग्री ग्रंथकारों द्वारा सुसज्जित अभिप्रेत होती है। इस दृष्टि से चरक, सुश्रुत और उनसे पूर्व के आचार्यों के ग्रंथ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमें मानव-जीवन के समृद्ध इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए विश्वसनीय सामग्री प्रदान करते हैं।
हालांकि, प्राचीन इतिहास के अध्येताओं की दृष्टि इन ग्रंथों की ओर कम गई है। इनमें से या तो चिकित्सा के इतिहास में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं की दृष्टि गई है या पुरानी पद्धतियों के अध्ययनकर्ताओं की दृष्टि गई है जो इन ग्रंथों को चिकित्सा के लिए मार्गनिर्देशक मानते हैं। हर शाखा की अपनी शास्त्रीय भाषा होती है, जो विशेषज्ञों के लिए सहज होती है, लेकिन अन्य शास्त्रीय विधाओं के विशेषज्ञों के लिए कठिन हो सकती है। इन ग्रंथों की सांस्कृतिक सामग्री के अध्ययन के लिए उनकी भाषा और शैली पर पूरा अधिकार होना आवश्यक है। इस प्रकार के विद्वान, जिनमें ऐतिहासिक दृष्टि और आयुर्वेद की गहरी समझ हो, विरल होते हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | वाग्भट्ट विवेचन | Vagabhata Vivechana |
Author: | Acharya Priyavrata Sharma |
Total pages: | 483 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 25 ~ MB |
Download Status: | Available |
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