Yoni Tantra Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आगम और तन्त्र दोनों पर्यायवाची पद माने गए हैं। आगम अनादि परम्परा प्राप्त माना गया है। जैसा कि उल्लेख है कि भगवान् शिव ने अपने पाँच मुखों-सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईशान द्वारा भगवती पराम्बा पार्वती को तन्त्रों का उपदेश दिया तथा ये तन्त्र श्रीमन्नारायण भगवान वासुदेव को भी मान्य हुए और तद्नुसार ही पूर्व, दक्षिण,
आगतं शिव वक्त्रेभ्यो गतं च गिरिजा श्रुतौ।
मतञ्च वासुदेवेन आगम सम्प्रवक्षते ।।
पश्चिम, उत्तर और ऊर्ध्व ये पाँच आम्नाय तन्त्रों में प्रचलित हुए। कलियुग में आगम मार्ग को अपनाए बिना सिद्धि नहीं प्राप्त हो सकती, साथ ही, आगम सार्ववार्णिक है जबकि निगम त्रैवर्णिक। उल्लेख है कि वैदिक आचार सत्ययुग, स्मृत्युपदिष्ट आचार त्रेतायुग, तथा पौराणिक आचार द्वापरयुग तथा आगमोक्त्य आचार कलियुग में मान्य है। जैसा कि कहा गया है-
कलौ श्रुत्युक्त आचारस्त्रेतायां स्मृति सम्भवः ।
द्वापरे तु पुराणोक्तं कलावागम सम्भवः ।।
यदि शब्द व्युत्पत्ति पर विचार करें तो आगम शब्द 'आ' उपसर्गपूर्वक गति अर्थवाले गम् धातु से बनता है। 'आ' उपसर्ग का अर्थ चारों तरफ यानी सर्वत्र व्यापक रूप से होता है। तात्पर्य यह हुआ समग्र ब्रह्माण्ड में व्यापकता प्रदान करने वाला या व्यापक गति प्रदान करने वाला ज्ञान ही आगम है। जैसा कि शास्त्रों में आया है निश्चित रूप से तत्त्व की ओर ले जाने वाला निगम तथा आप्त वचन से आविर्भूत तत्त्वार्थ विशेष का संवेदी आगम होता है। वैसे उल्लेख आता है कि-
आङ् भावस्तु समन्ताच्च गम्यतेत्यागमोमतः ।
अर्थात् सर्वतोमुखी अध्यात्मज्ञान जो सर्वतः प्रसृत हो चतुर्दिक व्याप्त हो रहा है वही आगम है। गत्यर्थक धातु ज्ञानार्थक भी होते हैं। यह पिङ्गला सिद्धान्त है। शैवमत के अनुसार आ पाश, ग पशु और म पति है। अथवा आ = शिवज्ञान, ग = मोक्ष और म पति हुआ। यह तन्त्र यानि शास्त्र कहलाता है, क्योंकि इसके द्वारा ही सब कुछ शासित होता है.....
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | योनि तंत्र | Yoni Tantra |
Author: | Vinay Kumar Rai |
Total pages: | 77 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 15 ~ MB |
Download Status: | Available |
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