Atma Yoga Hindi Book Pdf Download
All New hindi book pdf free download, आत्म योग | Atma Yoga download pdf in hindi | Asharamji Maharaj Books PDF| आत्म योग, Atma Yoga Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आत्मयोग
भगवान के प्यारे भक्त दृढ़ निश्वयी हुआ करते हैं। वे बार-बार प्रभु से प्रार्थना किया करते हैं और अपने निश्चय को दुहराकर संसार की वासनाओं को, कल्पनाओं को शिथिल किया करते हैं। परमात्मा के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए वे कहते हैं-
हम जन्म-मृत्यु के धक्के-मुक्के अब न खायेंगे। अब आत्माराम में आराम पायेंगे। मेरा कोई पुत्र नहीं, मेरी कोई पत्नी नहीं, मेरा कोई पति नहीं, मेरा कोई भाई नहीं। मेरा मन नहीं, मेरी बुद्धि नहीं, चित्त नहीं, अहंकार नहीं। मैं पंचभौतिक शरीर नहीं।
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।
मोह, ममता के सम्बन्धों में मैं कई बार जन्मा हूँ और मरा हूँ। अब दूर फेंक रहा हूँ ममता को। मोह को अब ज्ञान की कैंची से काट रहा हूँ। लोभ को ॐ की गदा से मारकर भगा रहा हूँ। मेरा रोम-रोम संतों की, गुरु की कृपा और करुणा से पवित्र हो रहा है। आनन्दोऽहम्.....
शान्तोऽहम्..... शुद्धोऽहम्..... निर्विकल्पोऽहम्... निराकारोऽहम्। मेरा चित प्रसन्न हो रहा है। 'हम राम के थे, राम के हैं और राम के ही रहेंगे। ॐ राम..... ॐ राम.... ॐ राम....।' कोई भी चिन्ता किये बिना जो प्रभु में मस्त रहता है वह सहनशील है, वह साधुबुद्धि है।
'आज' ईश्वर है। 'कल' संसार है। ईश्वर कल नहीं हो सकता। ईश्वर सदा है। संसार पहले नहीं था। संसार पाया जाता है, ईश्वर पाया नहीं जाता। केवल स्मृति आ जाय ईश्वरत्व की तो वह मौजूद है। स्मृति मात्रेण......। ईश्वर, परमात्मा हमारे से कभी दूर गये ही नहीं। उनकी केवल विस्मृति हो गई। आने वाले कल की चिन्ता छोड़ते हुए अपने शुद्ध आत्मा के भाव में जिस क्षण आ जाओ उसी क्षण ईश्वरीय आनन्द या आत्म-खजाना मौजूद है।
भगवान को पदार्थ अर्पण करना, सुवर्ण के बर्तनों में भगवान को भोग लगाना, अच्छे वस्त्रालंकार से भगवान की सेवा करना यह सब के बस की बात नहीं है। लेकिन अन्तर्यामी भगवान को प्यार करना सब के बस की बात है। धनवान शायद धन से भगवान की थोड़ी-बहुत सेवा कर सकता है लेकिन निर्धन भी भगवान को प्रेम से प्रसन्न कर सकता है। धनवानों का धन शायद भगवान तक न भी पहुँचे लेकिन प्रेमियों का प्रेम तो परमात्मा तक तुरन्त पहुँच जाता है।
अपने हृदय मंदिर में बैठे हुए अन्तरात्मारूपी परमात्मा को प्यार करते जाओ। इसी समय परमात्मा तुम्हारे प्रेमप्रसाद को ग्रहण करते जायेंगे और तुम्हारा रोम-रोम पवित्र होता जायगा। कल की चिन्ता छोड़ दो। बीती हुई कल्पनाओं को, बीती हुई घटनाओं को स्वप्न समझो। आने वाली घटना भी स्वप्न है। वर्तमान भी स्वप्न है। एक अन्तर्यामी अपना है। उसी को प्रेम करते जाओ और अहंकार को डुबाते जाओ उस परमात्मा की शान्ति में।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
---|---|
Name of Book: | आत्म योग | Atma Yoga |
Author: | Asharamji Maharaj |
Total pages: | 55 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 2 ~ MB |
Download Status: | Available |
= हमारी वेबसाइट से जुड़ें = | ||
---|---|---|
Follow Us | ||
Follow Us | ||
Telegram | Join Our Channel | |
Follow Us | ||
YouTube चैनल | Subscribe Us |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Atma Yoga Hindi Book Pdf, Hindi Book Atma Yoga Pdf Download, Hindi Book Free Atma Yoga, Atma Yoga Hindi Book Pdf, Atma Yoga Hindi Book Pdf Free Download, Atma Yoga Hindi E-book Pdf, Atma Yoga Hindi Ebook Pdf Free, Atma Yoga Hindi Books Pdf Free Download.