पुराणो मे योग दर्शन और उसकी समीक्षा | PURANO MEIN YOGA DARSHAN AUR USKI SAMIKSHYA BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Puranomein Yoga Darshan Aur Uski Samikshya

Puranomein Yoga Darshan Aur Uski Samikshya Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

पुराणों में योग दर्शन और उसकी समीक्षा पर चर्चा करते समय हमें यह समझना होगा कि पुराण भारतीय धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं जो मुख्य रूप से धार्मिक कथाएँ, पौराणिक घटनाएँ, और भक्ति के सिद्धांतों को प्रस्तुत करते हैं। इनमें योग दर्शन पर भी प्रकाश डाला गया है, हालांकि यह मुख्य रूप से उपनिषदों और भगवद गीता में अधिक विस्तृत और विश्लेषित है। 

पुराणों में योग दर्शन का विश्लेषण इस प्रकार किया जा सकता है:

1. योग के प्रकार: पुराणों में विभिन्न प्रकार के योग की चर्चा की गई है जैसे भक्ति योग, कर्म योग, और ध्यान योग। इनका उद्देश्य आत्मा की मोक्ष प्राप्ति और ब्रह्मा के साथ एकत्व की प्राप्ति है।

2. योग के अभ्यास: पुराणों में योग के भौतिक और मानसिक अभ्यासों का विवरण मिलता है, हालांकि ये विवरण उतने विस्तृत नहीं होते जितने उपनिषदों और गीता में होते हैं। यहाँ ध्यान और साधना के महत्व पर जोर दिया गया है।

3. योग का फल: पुराणों में योग के अभ्यास के फलस्वरूप आत्मा की शुद्धि और ब्रह्मा के साथ एकत्व की प्राप्ति की बात की जाती है। यह मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक माध्यम माना गया है।

4. समीक्षा: पुराणों की समीक्षा करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ये ग्रंथ मुख्यतः धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से लिखे गए हैं। योग के दर्शन की गंभीरता और गहराई को समझने के लिए उपनिषदों और भगवद गीता की ओर अधिक ध्यान देना उचित होता है।

पुराणों में योग दर्शन का उद्देश्य धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को दिशा प्रदान करना है, और इन्हें अन्य योगिक ग्रंथों के पूरक के रूप में देखा जा सकता है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:पुराणो मे योग दर्शन और उसकी समीक्षा | Puranomein Yoga Darshan Aur Uski Samikshya
Author:Sanskrit Bibhag, Allahabad
Total pages:361
Language: हिंदी | Hindi
Size:48 ~ MB
Download Status:Available


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