Sanskrit Granthon Me Utpat Vivechana Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
उत्पात शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ
'उद्' उपर्सग पूर्वक 'पत्' धातु और 'घञ्' प्रत्यय होकर उत्पात शब्द बना है। जिस का अर्थ है- अचानक प्राणियों के ऊपर घटित होने वाले शुभाशुभसूचक भूतविकार, भौतिक या दैविक उपवव, विपत्ति, सार्वजनिक संकट, आकस्मिक घटना, शुभाशुभ सूचक शकुन। विविध कोशकारों ने उत्पात के अनेक अर्थ किये हैं, जिन में निम्नलिखित मुख्य हैं-
१- अचानक उत्पन्न जो घटना हो वह, प्राणियों के लिए शुभाशुभसूचक महाभूत विकार भूकम्पादि। अमरकोशकार ने इसके कई पर्यायवाची शब्द क्रम, प्रकार गिनाये हैं। सिलसिला द्रव्य का धर्म, विकार, अजन्य अर्थात् उत्पन्न किये जाने या होने के अयोग्य। मनुष्य जाति के प्रतिकूल, देवी उपद्रव, भूचालादि । उपसर्ग अर्थात् भौतिक या दैविक उपद्रव। एक रोग के बीच में उत्पन्न दूसरा रोग, विपत्ति संकट आदि।'
२- अचानक प्राणीयों के ऊपर देवताओं के प्रकोप से शुभाशुभ सूचक भूकम्पादि उपद्रव । उपद्रव अर्थात् उत्पात के शुभाशुभ फल को सूचित करने वाले, भूचाल, रोग के बीच में उत्पन्न दूसरा गौण रोग, पिपासादि विकार।
३- उछाल, कुलाँच, उड़ान । प्रतिक्षेप, उठान, उभाड़ अशुभसूचक शकुन । अशुभ सूचक घटनाएँ। शुभाशुभसूचक भूतविकार आदि। ग्रहण, भूकम्प आदि।
४- उड़ान, छलांग, कूदना, एकोत्पातने, एक छलांग में, उल्टकर आना, ऊपर उठना, संकट सूचक अशुभ या आकस्मिक घटना, सार्वजनिक संकट (ग्रहण, भूचाल आदि), धूमरेखा, केतु का उदय, अनिष्ट सूचक या प्रचण्ड वायु बवंडर या आँधी ।" १ उत्पातः (पुं०) (उत्+पत्+घञ्) उत्पतति अकस्मादायाति यः प्राणिनां शुभाशुभसूचकमहाभूतविकार भूकम्पादिः। तत्पर्ययायः अजन्यम्, उपर्सग इत्यमरः। अजन्यम् कलीब उत्पात उपसर्गः समं त्रयम्।
अजन्यम् (न) उत्पातः उपर्सगः । त्रीणि। अजेति।। न जन साधुः। 'तत्र साधुः। ४/४/६८ इति यत्। न जन्यते वा । 'जनेर्यक्' (उ० ४/११)। 'तकि शसि' (वा० ३/१/६७) इति।।
यद्वा-१ उत्पतनम् । 'पत्तु गती' (भ्वा० पु० से०)। 'घ' ३/३/१८, उत्पतति ज्वलादिः (३/१/१४०)वा।। २ उपसर्जनम्। उपसृज्यते वा। 'घञ्' (३/३/१८-१६) 'उपर्सगः पुमान् रोग भेदोपप्लवयोरपि' इति मे० २५(५४) (३)
त्रीणि 'शुभाशुभ सूचकमहाभूतविकारस्य' ।। अमरकोषः २/८/१०६
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | संस्कृत ग्रन्थों में उत्पात विवेचन | Sanskrit Granthon Me Utpat Vivechana |
Author: | Paras Ram Shastri |
Total pages: | 264 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 130 ~ MB |
Download Status: | Available |
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