Vaidik Yogasutra Hindi Book Pdf Download
All New hindi book pdf free download, वैदिक योगसूत्र | Vaidik Yogasutra download pdf in hindi | Harishankar Joshi Books PDF| वैदिक योगसूत्र, Vaidik Yogasutra Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
सबसे बड़ी भारी समस्या तो यह है कि इस ग्रन्थ में वेदों के सम्बन्ध में एकदम एक ऐसे नये विषय को प्रस्तुत किया जा रहा है जिसकी खोज आज पहली बार इसी ग्रन्थ में की हुई मिलेगी। यह नया विषय योग दर्शन है जो समस्त वेदों का प्रधान विषय होते हुए भी अब तक के किसी भी भाष्यानुवादादि लेखकों को कभी भी स्वप्न में भी नहीं दिखाई दिया। वेदों में इसकी सत्ता की आस्था का मानना ही उनके लिए टेढ़ी खीर है। यह अवश्य सत्य है कि वेदों के प्रत्येक मंत्र से उक्त तीन प्रधान यज्ञों के अनुरूप तीन अर्थ साकं उभड़ जाते हैं, पर ये व्याख्याकार केवल उसी द्रव्यपरक यज्ञार्थ के अनुयायी हैं जिनमें मंत्रों के अर्थों को बैठाने के लिए बड़ी भारी खींचातानी और लठैत ढंग की जबरदस्ती करनी पड़ती है, जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण आगे चलकर १-४-३४ से ५३ के 'अन्नाद्भवन्ति भूतानि' और 'यज्ञाद्भवति पर्जन्यः' की व्याख्याओं में दे दिए गये हैं। इसी जबर- दस्ती से अर्थ भिड़ा भिढ़ाकर व्याख्या करने वाले इन व्याख्यातारों से स्थल स्थल पर उबल उबल कर यह स्वीकार किए बिना नहीं रहा गया कि अमुक अमुक मंत्र का, अमुक अमुक शब्द या वाक्य या वाक्यांश या पूरे मंत्र या सूक्त का अर्थ बिलकुल अज्ञेय और दुरूह है या लगता ही नहीं। यह विषय का विरोधी पक्ष रूप पक्का प्रमाण है। इसका मुख्य कारण वही है जैसा पहले बताया जा चुका है कि वैदिक महर्षि वेदों में बाह्य जगत् की बातें ही नहीं करते, उन्होंने जो कुछ भी लिखाः है उसका साक्षात्सम्बन्ध मात्र अन्तर्जगत् से है। हां यह अन्तर्जगत् हमारी देह और हमारे अखिल ब्रह्माण्ड दोनों का है।
अतः उक्त उदाहरणों में अन्न भूत, यज्ञ त्तथा पर्जन्य तत्त्व सब अन्तर्जगत् के ही हैं। इनका वही अर्थ उचित रूप से दृष्टिगत भी होता है, बाह्य जगत् में इससे आकाश पाताल का अन्तर होने से कदापि भी नहीं। यहां पर एक बड़ी विशिष्ट बात पर ध्यान दिलाना आवश्यक है। इस अन्तर्जगत् में ही दो प्रकार की सृष्टियां होती हैं। (१) साधारण स्वाभाविक (२) असाधारण अस्वाभाविक सृष्टि जिसे अतिसृष्टि कहते हैं। इसी का नाम योग दर्शन है। यही वेदों का मुख्य विषय है, प्रथम सृष्टि इसके अधीन बनाई गई है। क्योंकि योगी कोई भी, किसी भी, कैसी भी नई सृष्टि, साधारण असाधारण दोनों को कर सकता है। जो इन विषयों से तनिक भी परिचित नहीं है उसे वेदों के एक भी मंत्र का अर्थ नहीं लग सकता, एक मंत्र ही क्यों एक शब्द का भी अर्थ नहीं लग सकता। क्योंकि प्रत्येक शब्द का चुनाव उसकी भाव गम्भीरता और पारिभाषिक अर्थता के आधार पर करके उसे मंत्र में स्थान दिया गया है। और यह इतना प्रधान विषय है और इसमें इतनी प्रधानता आरूढ है कि इसे जाने बिना आगे बढ़ा ही नहीं जा सकता। अब आप ही बतलाइए कितने हुए हैं ऐसे सच्चे व्याख्याता ? उत्तर में शून्य के अतिरिक्त कुछ नहीं हो सकता ।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
---|---|
Name of Book: | वैदिक योगसूत्र | Vaidik Yogasutra |
Author: | Harishankar Joshi |
Total pages: | 427 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 18 ~ MB |
Download Status: | Available |
= हमारी वेबसाइट से जुड़ें = | ||
---|---|---|
Follow Us | ||
Follow Us | ||
Telegram | Join Our Channel | |
Follow Us | ||
YouTube चैनल | Subscribe Us |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Vaidik Yogasutra Hindi Book Pdf, Hindi Book Vaidik Yogasutra Pdf Download, Hindi Book Free Vaidik Yogasutra, Vaidik Yogasutra Hindi Book Pdf, Vaidik Yogasutra Hindi Book Pdf Free Download, Vaidik Yogasutra Hindi E-book Pdf, Vaidik Yogasutra Hindi Ebook Pdf Free, Vaidik Yogasutra Hindi Books Pdf Free Download.