नेत्रतन्त्रम् | NETRA TANTRAM HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Netra Tantram Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

नित्याषोडशिकार्णव की तरह इस तन्त्र के प्रारम्भ में भी मंगला चरण है। नित्याषोडशिकार्णव ६४ तन्त्रों का उल्लेख है और यहां भी अनेक तन्त्र उद्धृत हैं, जिसके नाम परिशिष्ट में दी गई प्रथम सूची से जाने जा सकते हैं। इस तन्त्र की प्रवृत्ति पार्वती और परमेश्वर के परिसंवाद के प्ररिप्रेक्ष्य में हुई है। यहां अन्य तन्त्रों में प्रश्नकर्ता के रूप में वर्णित कार्तिकेय और गरुड का उल्लेख मिलता है। इससे स्पष्ट होता है कि कार्तिकेय शिव और गरुड- शिव के परिसंवाद के रूप में नम्त्रों की प्रवृत्ति इससे पहले हो चुकी थी । "विस्तरोऽन्यतः" (४।१०) और "विस्तरोऽन्यत्र वर्णितः" (१६।१५२) इन दो वाक्यों की व्याख्या करते हुए क्षेमराज प्रथम स्थल पर स्वच्छन्द तन्त्र का और दूसरी जगह तोतुल" क्रियाकालगुणोत्तर आदि तन्त्रों का उल्लेख करते हैं।

 "नोब्वें ध्यानम्" (८।४१-४४) इत्यादि श्लोकों पर विज्ञानभैरव का प्रभाव परिलक्षित होता है। "श्रीमदूजितमेव वा" (११४६) इस वचन पर गीता (१००४१) की अनुकृति झलकती है। बाम स्रोत, तुम्बरु, भैरव तथा वामस्रोत में पूजित जया प्रभृति देवियों का उल्लेख योगवासिष्ठ में मिलता है। सिद्धान्त वाम और दक्षिण स्रोत के प्रवर्तक सदाशिव, तुम्बुरु और भैरव रूपधारी शिव का (पृ० ७६), मैरवागम (१० ८०), कुलाम्नाय (पृ० ६१), गारुडतन्त्र भूततन्त्र आदि विविध तन्त्रों का (१० ६८), एकवीर वाम्, दक्षिण, सिद्धान्त और वैष्णव तन्त्रों का (पृ० १८६), गारुड प्रभृति षड्विध तन्त्रों का (पृ० १२५), तुम्बुरु पृ०७६,६०) भैरव (पृ० ८०, ११) तथा सात मातृकाओं (पृ०१६६) का और पांच स्रोतों (पृ०१६२) का यहां उल्लेख मिलता है। लेमराज के अनुसार (१० ६५, ६६) यहां १३वें अधिकार में विविध पूजाविधियों का वर्णन जया, मायावामनिका और संहिता के आधार पर किया गया है । पांच स्रोतों से विनिर्गत तन्त्रों की सूची में अथवा श्रीकण्ठीसंहिता में वर्णित ६४ भैरवागमों की सूची में नेत्रतन्त्र का नाम नहीं मिलता और यह तन्त्र "सर्वस्रोतः संग्रहसार' माना गया है। इन सबसे स्पष्ट हो जाता है कि इस तन्त्र का प्रादुर्भाव काल इन सब तन्त्रों के प्रादुर्भाव के बाद का है। ऐसा होने पर भी इस तन्त्र की गणना प्राचीन तन्त्रों में ही की जाएगी ।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:नेत्रतन्त्रम् | Netra Tantram
Author:Mryutunjaya Bhattarak
Total pages:315
Language: हिंदी | Hindi
Size:58 ~ MB
Download Status:Available


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