Yoga Darshan Hindi Book Pdf Download
All New hindi book pdf free download, योग दर्शन | Yoga Darshan download pdf in hindi | P. Rajaram Books PDF| योग दर्शन, Yoga Darshan Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
वेद में जड़, चेतन, लोक, परलोक, धर्म, अधर्म इत्यादि योग का उद्देश्य लौकिक, अलौकिक विषयों के सम्बन्ध में जो सचाइयां वतलाई हैं, योग उनके प्रत्यक्ष देखने का मार्ग है। योगमार्ग पर चल कर हम अपने आत्मा को प्रत्यक्ष देख सकते हैं, परमात्मा के दर्शन कर सकते हैं, प्रकृति और उसके विकारों को असली रूप में देख सकते हैं, अपने जन्म जन्मान्तरों का पता लगा सकते हैं, और धर्माधर्म के फल देने की रीति को प्रत्यक्ष देख सकते हैं। वस्तुतः योग हमारे पास वह साधन है, जो हमारी सारी शंकाए मिटा देता है, सारे झगड़ों से पार कर देता है, क्योंकि वह हर एक बात को असलीरूप में दिखला देता है। मत मतान्तरों के सारे झगड़े निपट जाएंगे, जब वह धर्म की सचाइयों को योग द्वारा प्रत्यक्ष देखने की चेष्टा करेंगे। हथेली पर रक्खी हुई वस्तु जैसे प्रत्यक्ष होती है, धर्म के सारे भेद ठीक वैसे ही प्रत्यक्ष होते हैं, जब वह योग के प्रदीप से देखे जाते हैं। योग का उद्देश्य यही है, कि वह हर एक वस्तु को प्रत्यक्ष दिखलाता हुआ प्रकृति और पुरुष के भेद को प्रत्यक्ष दिखलाए, और प्रकृनि की सारी फांसों को तोड़ कर पुरुष को उससे मुक्त करदे ।
योग दर्शन के चार पाद हैं, समाधिपाद, साधनपाद, योग के पाद और विभूतिपाद और कैवल्यपाद । समाधिपाद उनका विषय } में सबीज और निर्वीज समाधि और उसके उपयोगी सारे विषयों का वर्णन है। साधन- पाद में योग के साधनों का वर्णन है। विभूतिपाद में उसकी विभूतियों का वर्णन है, और कैवल्य पाद में मोक्ष का वर्णन है। इन में से पहले दो पाद का विषय अधिक उपयोगी है। क्योंकि उपाय में किया हुआ यत्न फलवान् होता है। सो कैवल्य का उपाय समाधि और समाधि का उपाय योग के अङ्ग हैं। यही इन दोनों पादों का विषय है। इतने से मनुष्य कृतकृत्य हो जाता है, प्रकृति की फाँसों से छूट जाता है, और अपने स्वरूप को प्रत्यक्ष देख लेता है।
सिद्धियें न उस का बहुत कुछ संवारती हैं, न उसके लिये आवश्यक हैं। कैवल्य का निर्णय भी वहां पहुंच कर आप ही हो जाता है। उस के लिए पहले ही फैसला कर रखने की इतनी ज़रूरत नहीं, जितनी कि उसके साधन की जरूरत है। योग का योग का सब से पहिला बीज हम वेदसंहिता मूल को पाते हैं । वहां हम इसे उपासना और ज्ञान के रूप में वर्णन हुआ देखते हैं, और इसके साधन में मनुष्य के वह सारे कत्र्त्तव्य उपयुक्त हैं, जो वेद में उपदेश दिये गये हैं। परमात्मा के दर्शन का यह उपाय जो वेद में वर्णन किया है, सर्वाङ्ग परिपूर्ण है, और जो इस मार्ग पर चले हैं, उन्हों ने इस की साक्षी दी है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
---|---|
Name of Book: | योग दर्शन | Yoga Darshan |
Author: | P. Rajaram |
Total pages: | 234 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 23 ~ MB |
Download Status: | Available |
= हमारी वेबसाइट से जुड़ें = | ||
---|---|---|
Follow Us | ||
Follow Us | ||
Telegram | Join Our Channel | |
Follow Us | ||
YouTube चैनल | Subscribe Us |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Yoga Darshan Hindi Book Pdf, Hindi Book Yoga Darshan Pdf Download, Hindi Book Free Yoga Darshan, Yoga Darshan Hindi Book by P. Rajaram Pdf, Yoga Darshan Hindi Book Pdf Free Download, Yoga Darshan Hindi E-book Pdf, Yoga Darshan Hindi Ebook Pdf Free, Yoga Darshan Hindi Books Pdf Free Download.