Mahamaya Tantram Hindi Book Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
राष्ट्रीय अभिलेखालय काठमाण्डु, नेपाल में अनेक बौद्ध तन्त्रों के ग्रन्थ अब भी असम्पादित अवस्था में हैं। उनमें से यह महामाया तन्त्र भी है जो इसकी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण टीका के साथ लगत सं० ५-१०७ में है। इसी प्रकार इसकी एक प्रति मेरे व्यक्तिगत संग्रह में भी है जो विगत १० वर्ष पूर्व मुझे उपलब्ध हुई थी। इन दोनों हस्तलिखित ग्रन्थों के आधार पर मैंने इस महनीय ग्रन्थ का सम्पादन किया है। साथ ही बिना हिन्दी अनुवाद के यह उतना उपयोगी नहीं होगा यह विचार कर फिर इसका हिन्दी अनुवाद भी करके अब हम सहृदय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहें हैं। आशा है पाठकगण अन्य तन्त्र ग्रन्थों की भाँति इसे भी अपना स्नेह का पात्र बनायेंगे।
इस ग्रन्थ के टीका के साथ मूल भाग का सम्पादन कर प्रो० सम्दोङ रिनपोछे तथा प्रो० व्रजबल्लभ द्विवेदी ने सन् १६६२ में सारनाथ, वाराणसी से प्रकाशित किया है। उन्होंने भी नेपाली हस्तलिखित का ही प्रयोग किया है। इस सम्पादन में मैंने भी उक्त प्रकाशित ग्रन्थ से यथेष्ट सहयोग लिया है। अतः मैं उन दोनों सम्पादकों को आभार व्यक्त करता हूँ।
महामाया का उल्लेख
'महामाया' इस नाम का उल्लेख बहुत ग्रन्थकारों ने किया है। 'नित्याषोडशिकार्णव' के अनुसार ६४ प्रकार के तन्त्र ग्रन्थ हैं। उनमें से सर्वप्रथम इसी का नाम उल्लेख हुआ है।
महामाया शम्बरञ्च योगिनी जालशम्बरम् १/१४-२१ इसके अनुसार महामाया का नाम सर्वप्रथम लिया गया है। यह महामाया अपने आप में पूर्ण तन्त्र ग्रन्थ नहीं है। इसके टीकाकार के अनुसार यह मुक्तक है। यह श्री वज्रशेखर तन्त्र का एक भाग है। जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होने से प्राचीन काल से ही पृथक् रूप में इसकी चर्चा होती रही है।
तन्त्र तीन प्रकार के हैं हेतु तन्त्र, फल तन्त्र तथा उपाय तन्त्र। इस तन्त्र में संक्षेप में हेतु, फल और उपाय तीनों का वर्णन है। यह वज्रडाकिनी नामक परम गुह्य तन्त्र है। वही परिणति में महामाया हो जाती है। इसीलिए इसका नाम महामाया हुआ है।
डै विहायसगमने धातुरत्र विकल्पितः ।
सर्वाकाशचरी सिद्धिर्डाकिनीति प्रसिद्ध्यति ॥
यहाँ बुद्धडाकिनी, वज्रडाकिनी, रत्नडाकिनी, पद्मडाकिनी और विश्वडाकिनी देवियाँ हैं। वे ही मूल तत्त्व हैं। इन्हीं से समग्र जगत् व्याप्त है। इस ग्रन्थ में निम्नविषयों का वर्णन ही मूल महामाया तन्त्र और उसकी टीका रत्नाकर शान्ति विरचित में किया गया है। प्रथम निर्देश में वर्णित विषय ये हैं -
मङ्गलाचरण। महामाया तन्त्र क्यों कहा गया है। तन्त्रों की तीन प्रकारें। तन्त्र शब्द की व्युत्पत्ति। नामार्थ निर्देश। महामाया का स्वरूप। तन्त्र की गोपनीयता। कृत्य का लाभ। चित्त की प्रकृति प्रभास्वरता। बोधि का कारण। पाँच ज्ञान। पाँच काय। उपाय। अक्षर स्वरूप। अक्षरों की अनुष्ठान विधि। वज्रसत्त्व का स्वरूप विवेचन। वीर शब्द का अर्थ। वीर की स्थिति का निरूपण। चार चक्रों में ध्यान की विधि। सभी धर्म बुद्धमय हैं का वर्णन । जाप निर्देश-भावनानुसारी। ज्ञान और देवताओं के प्रभाव और स्वभाव का निरूपण।
इसी प्रकार द्वितीय निर्देश में विशेष वर्णित विषय हैं -
गुह्य अक्षर का निरूपण। उसके जप की विधि। निःश्वास का निरूपण। तीन प्रकार के योगों का वर्णन। विद्याक्षर और उसका प्रयोग। वश्य प्रयोग। आकर्षण। पिण्डाकृष्टि का वर्णन। वीर में चित्त की स्थिरता आदि विषय इसमें हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | महामायातन्त्रम् | Mahamaya Tantram |
Author: | Kashinath Nyaupane |
Total pages: | 76 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 23 ~ MB |
Download Status: | Available |
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