सोमनाथ | SOMNATH HINDI UPANYAS BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Somnath Hindi Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

सौराष्ट्र के नैर्ऋत्य कोण में समुद्र के तट पर वेरावल नाम का एक छोटा-सा बन्दरगाह और आखात है। वहां की भूमि अत्यन्त उपजाऊ और गुंजान है। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी अपूर्व है। मीलों तक विस्तीर्ण सुनहरी रेत पर क्रीड़ा करती रत्नाकर की उज्ज्वल फेनराशि हर पूर्णिमा को ज्वार पर अकथ शोभा विस्तार करती है। आखात के दक्षिणी भाग की भूमि कुछ दूर तक समुद्र में धँस गई है, उसी पर प्रभास पट्टन की अति प्राचीन नगरी बसी है। यहाँ एक विशाल दुर्ग है, जिसके भीतर लगभग दो मील विस्तार का मैदान है। दुर्ग का निर्माण सन्धि-रहित भीमकाय शिलाखण्डों से हुआ है।

दुर्ग के चारों ओर लगभग 25 फुट चौड़ी और इतनी ही गहरी खाई है, जिसे चाहे जब समुद्र के जल से लबालब भरा जा सकता है। दुर्ग में बड़े-बड़े विशाल फाटक और अनगिनत बुर्ज हैं। दुर्ग के बाहर मीलों तक प्राचीन नगर के ध्वंसावशेष बिखरे पड़े हैं। टूटे-फूटे प्राचीन प्रासादों के खंडहर, अनगिनत टूटी-फूटी मूर्तियाँ, उस भूमि पर किसी असह्य अघट घटना के घटने की मौन सूचना-सी दे रही हैं। दुर्ग का जो परकोटा समुद्र की ओर पड़ता है, उससे छूता हुआ और नगर के नैर्ऋत्य कोण के समुद्र में घुसे हुए ऊँचे श्रृंग पर महाकालेश्वर के विद्युत मन्दिर के ध्वंस दीख पड़ते हैं। मन्दिर के ध्वंसावशेष और दूर तक खड़े हुए टूटे-फूटे स्तम्भ, मन्दिर की अप्रतिम स्थापत्य कला और महानता की ओर संकेत करते हैं।

अब से लगभग हजार वर्ष पहले इसी स्थान पर सोमनाथ का कीर्तिवान महालय था, जिसका अलौकिक वैभव बदरिकाश्रम से सेतुबन्ध रामेश्वर तक, और कन्याकुमारी से बंगाल के छोर तक, विख्यात था। भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्री ठठ-के-ठठ बारहों महीना इस महातीर्थ में आते और सोमनाथ के भव्य दर्शन करते थे। अनेक राजा-रानी, राजवंशी, धनी कुबेर, श्रीमन्त साहूकार, यहाँ महीनों पड़े रहतेथे और अनगिनत धन, रत्न, गाँव, धरती सोमनाथ के चरणों पर चढ़ा जाते थे। इससे सोमनाथ का वैभव अवर्णनीय एवं अतुलनीय हो गया था।

उन दिनों भारत में वैष्णव धर्म की अपेक्षा शैव धर्म का अधिक प्राबल्य था। सोमनाथ महालय निर्माण में उत्तर और दक्षिण दोनों ही प्रकार की भरतखण्ड की स्थापत्य कला की पराकाष्ठा कर दी गई थी। यह महालय बहुत विस्तार में फैला था, दूर से उसकी धवल दृश्यावलि चाँदी के चमचमाते पर्वत श्रृंग के समान दीख पड़ती थी। सम्पूर्ण महालय उच्चकोटि के श्वेत मर्मर का बना था। महालय के मंडप के भारी-भारी खम्भों पर हीरा, मानिक, नीलम आदि रत्नों की ऐसी पच्चीकारी की गई थी कि उसकी शोभा देखने से नेत्र थकते नहीं थे। जगह-जगह सोने-चाँदी के पत्र, स्तम्भों पर चढ़े थे। ऐसे छह सौ खम्भों पर महालय का रंग-मंडप खड़ा था। इस मंडप में दस हजार से भी अधिक दर्शक एक साथ सोमनाथ के पुण्य दर्शन कर सकते थे। इस मंडप में द्विजमात्र ही जा सकते थे। मंडप के सामने गम्भीर गर्भगृह में सोमनाथ का अलौकिक ज्योतिर्लिंग था। गर्भगृह की छत और दीवार पर रत्ती-रत्ती रत्न और जवाहर जड़े थे। इस कारण साधारण घृत का दीया जलने पर भी वहाँ ऐसी झलमलाहट हो जाती थी कि आँखें चौंधिया जाती थीं।

इस भूगर्भ में दिन में भी सूर्य की किरणें प्रविष्ट नहीं हो सकती थीं। वहाँ रात-दिन सोने के बड़े-बड़े दीपकों में घृत जलाया जाता था तथा चन्दन केसर कस्तूरी की धूप रात-दिन जलती रहती थी, जसकी सुगंध से महालय के आस-पास दो-दो योजन तक पृथ्वी सुगन्धित रहती थी। रंग-मंडप के चिकने स्वच्छ फर्श पर देश-देश की असूर्यपश्या महिलाएँ रत्नाभूषणों से सुसज्जित, रूप-यौवन से परिपूर्ण, गुणगरिमा से लदी-फदी, जगह-जगह बैठी श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक कोमल स्वर से भगवान सोमनाथ का स्तवन घण्टों करती रहती थीं। नियमित पूजन और नित्यविधि के समय पाँच सौ वेदपाठी ब्राह्मण सस्वर वेद-पाठ करते, और तीन सौ गुणी गायक देवता का विविध वाद्यों के साथ स्तवन करते, तथा इतनी ही किन्नरी और अप्सरा-सी देवदासी नर्तकियां नृत्य कला से देवता और उनके भक्तों को रिझाती थीं। नित्य विशाल चाँदी के सौ घड़े गंगाजल से ज्योतिर्लिंग का स्नान होता था, जो निरन्तर हरकारों की डाक लगाकर एक हजार मील से अधिक दूर हरिद्वार से मंगवाया जाता था। स्नान के बाद बहुमूल्य इत्रों से तथा सुगन्धित जलों से लिंग का अभिषेक होता था, इसके बाद श्रृंगार होता था। सोमनाथ का यह ज्योतिर्लिंग आठ हाथ ऊँचा था, अतः इसका स्नान, अभिषेक श्रृंगार आदि एक छोटी-सी सोने की सीढ़ी पर चढ़ कर किया जाता था। सब सम्पन्न हो जाने पर आरती होती थी, जिसमें शंखनाद, चौघड़िया घण्ट आदि का महाघोष होता था। यह आरती ......

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:सोमनाथ | Somnath
Author:Acharya Chatursen Shastri
Total pages:375
Language: हिंदी | Hindi
Size:1.03 ~ MB
Download Status:Available


Name of the Book is : Somnath | This Book is written by Acharya Chatursen Shastri | The size of this book is 1.03 MB | This Book has 375 Pages | The Download link of the book "Somnath " is given Below, you can downlaod Somnath from the below link for free.

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