Free Hindi Book Mahamaya Tantra In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
दुर्लभ बौद्ध ग्रन्थमाला के दशम पुष्प के रूप में गुणवती नाम की टीका के साथ महामाया तन्त्र को तन्त्रशास्त्र के अनुरागियों के सामने प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। बहुत प्रयत्न करने पर भी मूल महामायातन्त्र हमें उपलब्ध न हो सका, अतः गुणवती टीका में उपलब्ध प्रतीक वचनों की तथा उसके भोट अनुवाद की सहायता से संस्कृत पाठ के उद्धार का एक लघु प्रयास किया गया है। तृतीय निर्देश के 15-16 श्लोकों के बीच (पृ० 45) भोट अनुवाद में कुछ अधिक श्लोक और उनकी व्याख्या भी मिलती है। यह अंश गुणवती टीका के दोनों हस्तलेखों में नहीं मिलता। संभव है मूल मातृका के एक दो पत्र त्रुटित हो गये हों। यहाँ हम संस्कृत प्रतीकों के अभाव में मूल संस्कृत श्लोकों का भी उद्धार नहीं कर सके है। मूल ग्रन्थ और गुणवती टीका का भोट अनुवाद भी साथ में दिया जा रहा है, अतः भोट भाषा के विद्वद्गण उनकी सहायता से इस त्रुटि का परिमार्जन कर सकते है।
नित्याषोडशिकार्णव नामक शाक्त-तन्त्र के प्रारंभ(1.14-21) में 64 तन्त्रों का परिगणन किया गया है । महामाया का वहां सर्वप्रथम उल्लेख है- "महामायाशम्बरं च योगिनीजालशम्बरम् । तत्त्वशंम्बरकं चैव" (1.14) । आचार्य शंकर की सौन्दर्यलहरी के "चतुःषष्टया तन्त्रैः" (1.31) श्लोक की अनेक व्याख्याओं में भी ये ही श्लोक उद्धृत है । कुछ टीकाकार यहां तीन तथा अन्य पांच तन्त्रों के नामों का उल्लेख मानते है । लक्ष्मीधर और गौरीकान्त के अनुसार महामायाशम्बर, योगिनीजालशम्बर और तत्त्वशम्बर नामक तीन तन्त्रों का यहां उल्लेख है। अन्य सभी टीकाकार महामाया, शम्बर, योगिनी, जालशम्बर और तत्त्वशम्बर नामक पाँच तन्त्रों की यहां गणना करते है। बौद्ध तन्त्रों के भोट अनुवादों की सूची में महामाया, जालशम्बर, मायाजाल जैसे नाम उपलब्ध होते है।
नागेन्द्रनाथ वसु ने अपने विश्वकोश (बंगला और हिन्दी) में शम्बर, डाकिनीजाल, योगिनी, योगिनीजाल, मायाजाल आदि बौद्ध तन्त्रों के नाम गिनाथ है। म० म० हरप्रसाद शास्त्री की नेपाल की सूची में डाकिनीजालशम्बर और योगिनीजाल की मातृका का परिचय दिया गया है। यह सब तो एक विशेष अध्ययन का विषय है, किन्तु इतना स्पष्ट है कि यहां दिया गया पहला नाम प्रस्तुत महामायातन्त्र का ही है। इससे इस ग्रन्थ की महत्ता और प्राचीनता स्पष्ट हो जाती है। इसीलिये इस योजना के प्रथम निदेशक स्व० प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय जी ने इस योजना से प्रकाशित होने वाले प्रथम दस ग्रन्थों में इसका समावेश किया था। मूल ग्रन्थ की उपलब्धि की आशा में इतना समय व्यतीत हो गया। अन्ततः इस ओर से निराश होकर हमने ऊपर बताई गई पद्धति से प्रस्तुत संस्करण को तैयार किया है ।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | महामाया तन्त्रम् | Mahamaya Tantra |
Author: | Duralabh Boudh Granth Shodh Yojana |
Total pages: | 192 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 67 ~ MB |
Download Status: | Available |
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