मातंगी एवं बगलामुखी तंत्र शास्त्र | MATANGI EVAM BAGLAMUKHI TANTRA SHASTRA PDF DOWNLOAD

Matangi Evam Baglamukhi Tantra Shastra Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

भगवती बगला 'अष्टमी-विद्या' है। इनकी आराधना श्री काली, तारा तथा षोडशी का ही पूर्व क्रम है। इन महाविद्याओं का अन्तर भाव इन्हीं में किया जाता है। इनका यथार्थ नाम 'बल्गामुखी' है।

इनकी उत्पत्ति के विषय में 'प्राण तोषिणी' में शंकर जी ने पार्वती को इस प्रकार बताया है -

एक बार सतयुग में समस्त विश्व को विनष्ट करने वाला तूफान उत्पन्न हुआ जिसे देखकर जगत की रक्षा में प्रायण श्री विष्णु को अत्यधिक चिन्ता हुई। तब उन्होंने सौराष्ट्र देश में हरीद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर तपस्या आरम्भकी। उस समय मंगल वार चतुर्दशी को अर्द्ध रात्रि के समय माता बगला का अविर्भाव हुआ।

त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगला ने प्रसन्न होकर विष्णु को इच्छित बर दिया, जिसके कारण विश्व विनाश से बच गया।

भगवती बगला को वैष्णव तेज से युक्त वृह्मास्त्र विद्या एवं त्रिशक्ति भी कहा जाता है। ये वीर-रात्रि हैं। इनके शिव 'एकवक्त्र महारूद्र' हैं।

भगवती बगला पीताम्बरा, स्वर्ण-पीठ पर विराजमान, एक हाथ में मुद्गर लिए तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जीभ पकड़े हुए है। इन्हें 'सिद्ध विद्या' कहा गया है। ये शीघ्र फल प्रदान करने वाली है अतः कलियुग में इनकी उपासना अधिक की जाती है।

प्राणियों के शरीर में 'अथर्वा' नामक एक 'प्राणसूत्र' निकलता रहता है। प्राणरुप होने से हम इसे स्कूल-दृष्टि से देखने में असमर्थ रहते हैं। यह एक प्रकार की 'वायरलेस-टेलिग्राफी' है। पाँच सौ किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले अपने किसी आत्मीय के दुःख से हमारे चित्त को जो परोक्ष-शक्ति व्याकुल कर देती है, उसी परोक्ष-सूत्र का नाम 'अथर्वा' है। इस शक्ति-सूत्र के विज्ञान से सहस्त्रों किलोमीटर की दूरी पर स्थित व्यक्ति का भी आकर्षण किया जाता है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:मातंगी एवं बगलामुखी तंत्र शास्त्र | Matangi Evam Baglamukhi Tantra Shastra
Author:Pt. Rajesh Dixit
Total pages:224
Language: हिंदी | Hindi
Size:92 ~ MB
Download Status:Available


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