Free Hindi Book Rudrayamala Tantra In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
भारतीय तन्त्र-साहित्य की परिधि और उसकी वैचारिक गहराई विशाल समुद्र के समान है। इसमें लौकिक और पारलौकिक समुन्नति के वे सभी साधन उपलब्ध हैं, जिनसे सामान्य बुद्धि वाले तथा गहन शास्त्रों के ज्ञाता दोनों ही अपनी-अपनी रुचि के अनुसार इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति के मार्ग-निर्देशन प्राप्त कर सकते हैं। आस्तिक जगत् में व्याप्त आस्था की मूल धरोहर तन्त्रशास्त्र ही हैं। धर्म-कर्म की शिक्षा देने वाले अन्य सभी शास्त्र तन्त्रों के प्रति श्रद्धा रखते और तदनुसार आचरण एवं साधना पर भी पूरा बल देते रहे हैं। लोक-कल्याण का सुगम मार्ग तन्त्रशास्त्र ही बताते आये हैं, यह किसी से छिपा नहीं है।
तन्त्रशास्त्र-1. आगम 2. यामल, और 3. तन्त्र के रूप में विभक्त है अतः वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव की 'त्रिमूर्ति' माना जाता है। इनमें 'यामल' ग्रन्थों का महत्त्व इसलिए भी अधिक है कि ये 'शिव और शक्ति की एकता के प्रतीक' हैं। यामल को सर्वशास्त्रों का बोधक भी कहा गया है। ऐसे अनेक यामल-ग्रन्थों में मूर्धन्य ग्रन्थराज 'रुद्रयामल है। यह तन्त्र और इससे सम्बद्ध सभी शास्त्रीय प्रक्रियाओं का दर्शक होने से 'तान्त्रिक विश्वकोश' ही है । प्रस्तुत 'रुद्रयामल-तन्त्र सर्वोपयोगी सार-संग्रह' ग्रन्थ रुद्रयामल के नाम से प्राप्त उन सभी सुलभ और दुर्लभ ग्रन्थों और पाण्डुलिपियों के गहन अध्ययन से निर्मित है, जिनके नाम तो विद्वानों के मुख से सुनने में आते हैं, किन्तु वास्तविकता का ज्ञान नहीं हो पाता था ।
इसकी रचना-पद्धति में 'परिचय और प्रयोग' को लक्ष्य में रखकर सरस एंव सरल भाषा में विषय को समझाने का पूरा प्रयास किया गया है रुद्रयामल के महत्त्वपूर्ण प्रयोगों को अन्य मन्त्रशास्त्रों की सहायता से विधि सहित प्रस्तुत करते हुए साधना के मार्ग को व्यवस्थित रूप दिया है। यह भी ध्यान में रखा गया है कि अनावश्यक विस्तार न हो, इस दृष्टि से हमने हमारे द्वारा पूर्व-रचित 'मन्त्रशक्ति, यन्त्रशक्ति (दो भाग) तन्त्रशक्ति, महामृअत्युंजय साधना 'बटुक भैरव साधना' आदि में जो लिख दिया है उसका यहां सूचन मात्र किया है और यहां श्री गुरु उपासना से आरम्भ करके सर्वसाधारण के लिए नित्य, नैमित्तिक और काम्य-कर्मों को लक्ष्य में रखकर कर्त्तव्य-कर्मों का संकलन इसकी अपनी विशेषता तो है ही, साथ ही इसमें ऐसे अनेक नवीन प्रयोगों को भी स्पष्ट रुप से समाविष्ट किया गया है, जिनका सूत्रात्मक संकेत तो रुद्रयामल में था, किन्तु पूरा विधान नहीं प्राप्त होता था ।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | रुद्रयामल तन्त्र | Rudrayamala Tantra |
Author: | Dr. Rudradev Tripathi |
Total pages: | 300 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 102.5 ~ MB |
Download Status: | Available |
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