Free Hindi Book Chanakya Aur Dainik Jeevan Mein Safalta In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आचार्य वचन
बूंद-बूंद से घड़ा भर जाला है, बूंद-बूंद के मिलने से नदी बन जाती है, पाई-पाई जोड़ने पर व्यक्ति धनवान बन जाता है। उसी प्रकार यदि निरंतर अभ्यास किया जाए तो मनुष्य के लिए कोई भी विद्या अप्राप्य नहीं रहती।
आलस्य और अनभ्यास विद्वानों की बुद्धि को भी भ्रष्ट करके उनके ज्ञान का नाश कर देता है।
जो विद्वान् निरंतर अभ्यास नहीं करता, उसके लिए शास्त्र भी विष के समान हो जाते हैं।
अनिवार्य है अभ्यास
प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। सफल व्यक्तियों के उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है, पर क्या सफल व्यक्ति जन्म से सफल थे? कोई भी व्यक्ति जन्म से सफल हो ही नहीं सकता। जन्म लेने की नैसर्गिक प्रक्रियाएँ हैं। परिवेश, अभ्यास, स्थितियाँ एवं प्रतिकूल परिस्थितियाँ ही व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र एवं कार्य में निपुण निपुण बनाती हैं। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडीसन ने अनेक आविष्कार किए। उनका सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार बल्ब की खोज था, जिसने घर-घर को रात्रि के अंधकार से मुक्त कर प्रकाश से भर दिया। इसके अलावा भी उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण आविष्कार किए थे। इस दौरान कई बार वे असफल रहे, पर उन्होंने अपनी किसी भी असफलता की असफलता न मानकर उसे अभ्यास माना और यह स्वीकार किया कि त्रित अभ्यास ने उन्हें परिपक्व बनाते हुए जीवन के क्षेत्र में प्रवीण बनाया है। विद्या में परिपत्रव एवं कुशल बनने के लिए अभ्यास और केवल अभ्यास ही अनिवार्य है। जिस व्यक्ति के अंदर अभ्यास करने की क्षमता है, उसे किसी अन्य वस्तु की आवश्यकता नहीं होती। अपने अभ्यास के माध्यम से वह हर अनिवार्य वस्तु स्वयं किसी-न-किसी तरह प्राप्त कर ही लेता है।
चाणक्य कहते हैं कि अभ्यास के बिना विद्वान् भी शास्त्रों का यथोचित वर्णन नहीं कर पाता और लोगों के बीच उपहास का पात्र बन जाता है। इसी तरह निरंतर अभ्यास के बिना सरल-से-सरल कार्य भी कठिन प्रतीत होता है, जबकि अभ्यास क्लिष्ट-से-क्लिष्ट कार्य को भी सहज, सरल एवं सुंदर बना देता है। चाणक्य बचपन से ही बेहद चतुर, परिश्रमी और व्यावहारिक थे। उन्होंने अपनी आयु की सीढ़ी-दर-सीढ़ी अनेक ऐसे अनुभव प्राप्त किए, जो प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए अनिवार्य होते हैं। अभ्यास भी उन्हीं में से एक है।
अभ्यास की अवस्था
किसी भी कार्य को सीखने एवं अभ्यास करने का सबसे उत्तम समय बाल्यावस्था होती है। बचपन में बच्या कोमल एवं बेहद संवेदनशील होता है। वह हर कार्य को वास्तविकता के धरातल पर समझकर उसमें तन-मन से अपने श्रम का व्यय करता है और उसमें पारंगत हो जाता है। द्वापर युग में पाँच पांडवों में अर्जुन से लेकर कलयुग में सचिन तेंदुलकर तक इसके सशक्त उदाहरण हैं। कई बार परिस्थतियों एवं परिवेश के कारण व्यक्ति बाल्यावस्था में अभ्यास के महत्त्व से वंचित रह जाता है। । ऐसे में वह किशोरावस्था, युवावस्था अथवा प्रौढ़ावस्था भी कार्य को सीख सकता है।
अभ्यास क्या होता है?
वह कार्य, जिसकी बार-बार और लगातार किया जाता है, वह अभ्यास होता है। प्रारंभ में किसी भी कार्य को करते समय कष्ट और पीड़ा होती ही है। लेकिन यह कष्ट और पीड़ा अप्रत्यक्ष रूप से सफलता एवं उपलब्धि का आरंभ होता है, किसी भी कार्य को सीखने की आरंभिक योग्यतां में व्यक्ति को जो दर्द, पीडा, बेचैनी और अवसाद का अनुभव होता है, दरअसल वह व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क को एक कुशल आकृति में हाल रहा होता है, ठीक उसी तरह, जिस तरह शारीरिक व्यायाम की आरंभ करते समय कुछ दिनों तक लगातार पीड़ा और दर्द होता है और यह मन करता है कि बस अब अगले दिन अभ्यास न किया जाए: लेकिन कुछ दिनों तक अभ्यास करने के बाद धीरे-धीर शरीर उसका अभ्यस्त होता जाता है और फिर एक दिन ऐसा आता है, जब व्यक्ति कठिन-से-कतिन व्यायाम अथवा कार्य कर कार्य कर लोगों को दाँतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर देता है। जब किसी कार्य को अनेक बार दोहरा लिया जाता है तो वह स्वचालित बन जाता है और फिर लगातार अभ्यास के कारण व्यक्ति उनको खेल की तरह आनंद लेते हुए करता है। इसको इस इस तरह से समझा जा सकता है कि पियानो पयानों में केवल 88 कंजियाँ होती हैं और स्केल में सिर्फ आठ तानें होती हैं, लेकिन एक कुत्राल पियानोवादक उन्हीं 88 कुंजियों का प्रयोग करके हर बार उनसे अलग और मीठी धुन निकाल लेता है। ऐसा कैसे होता है? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पियानोवादक पियानों पर लगातार अभ्यास कर उन कुंजियों को अपने अनुरूप ढालना सीख चुका होता है। इतना ही नहीं; अभ्यास के माध्यम से आँखों पर पट्टी बाँधकर भी निशाना लगाया जा सकता है। नेत्रहीन व्यक्ति भी अभ्यास के माध्यम से कुशल होकर विश्व प्रसिद्ध बन सकता है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | चाणक्य और दैनिक जीवन में सफलता | Chanakya Aur Dainik Jeevan Mein Safalta |
Author: | Renu Saini |
Total pages: | 31 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 0.9 ~ MB |
Download Status: | Available |
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