Free Hindi Book Das Minute In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
प्रेम सागर दिल्ली शहर के उन महाहरामी लोगों में से था जिसकी पैंतीस साला मुकम्मल जिन्दगी का फलसफा ही यह था कि मर्द से धोखा खाना, उसके हाथों खराब होना, ही औरत की नियति थी। वह सिर्फ औरत को खराब ही करता होता तो कोई बात न थी, वह तो उसका खानाखराब करता था, उसे यूं तबाह करता था कि मौत में ही उसे कोई पनाह दिखाई देती थी। बकौल उसके वह बाकायदा डायरी बनाकर अपनी जिन्दगी में आयी औरतों का हिसाब न रखता होता तो वह खुद न याद कर पाता कि उसके हाथों बरबाद हुई औरतों का स्कोर क्या हो चुका था। इस सिलसिले में उसकी कार्यप्रणाली कुछ यूं थी कि कम से कम तीन औरतों से वह हर वक्त जुड़ा रहता था- एक वो जो उससे खता खा चुका थी, दूसरी वो जो खता खाने जा रही थी और तीसरी वो जो खता खाने के लिए तैयार की जा रही थी। इनमें से खता खा चुकी औरत का नाम याद रखना तो वह निरी हिमाकत मानता था, खता खाने जा रही औरता का नाम अनुराधा नांगिया था और जिसे वह खता खाने के लिए आज कल तैयार कर रहा था, उसका नाम दीपा साही था । उसकी राइटिंग टेबल पर एक चांदी का प्रेम मौजूद था जिसमें अनुराधा नांगिया की हंसती-मुस्कराती तस्वीर जड़ी हुई थी लेकिन बहुत जल्द उसकी जगह दीपा साही की वैसी ही हंसती-मुस्कराती तस्वीर लेने वाली थी। उससे पहले जो तस्वीर उस प्रेम में थी, वह जाकर उसके उन औरतों के रिकार्ड में गर्क हो गई थी जो आज या तो अरब देशों के सस्ते चकले आबाद कर रही थीं और या अपने आपसे शर्मिन्दा होकर मौत के आगोश में पहुंच चुकी थीं।
अपनी जलील हरकतों में कामयाब होने के लिए खुदा ने उसे दो बहुत कार आमद खूबियां बख्शी थीं। एक तो वह खूबसूरत बहुत था, दूसरे बातें बहुत बढिया करता था । खूबसूरत तो ऐसा था कि कामदेव का अवतार मालूम होता था। किसी नौजवान लड़की की तरफ मुस्करा कर देख भर लेता था तो लड़की के दिल की धड़कन तेज हो जाती थी, टांगें थरथराने लगती थीं और जेहन में बड़े ही सुनहरे सपने तैरने लगते थे। प्रेम सागर की कल्पना वह परी कथाओं के उन शाहजादों जैसी करने लगती थी जो अपनी प्रेयसियों को सोने के हिंडोले में बिठाते थे और बादलों से पार ले जाते थे। बातें वह ऐसी लच्छेदार करता था कि सुननेवालियां मन्त्रमुग्ध होकर सुनती थीं। यह प्रेम सागर का ही कमाल था कि वह जिस लड़की से भी मिलता था, उसे यही लगता था कि वही उसके सपनों का राजकुमार था, उसी में उसके सारे सपने साकार होने वाले थे । उसने एक भरपूर निगाह अनुराधा नांगिया की तस्वीर पर डाली ।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | दस मिनिट | Das Minute |
Author: | Surendra Mohan Pathak |
Total pages: | 114 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.4 ~ MB |
Download Status: | Available |
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