Free Hindi Book UPSC Wala Love – Collector Sahiba 2 In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
एंजल की सहेली आईएएस अधिकारी मेघा भारद्वाज का गुड़गांव में बर्थडे मनाया जा रहा था और जहाँ हमें इनवाइट किया गया। क्लब की जगमगाती रोशनी में रात अपने चरम पर थी। डीजे की तेज़ बीट्स पर सारा माहौल थिरक रहा था। एंजल और मैं, दोनों ने जन्मदिन की पार्टी के मौके पर गुड़गांव के एक आलीशान क्लब का रुख किया था। यह रात आईएएस अधिकारी मेघा भारद्वाज के जन्मदिन की थी और हमने उसे ख़ास बनाने का पूरा मन बना रखा था।
डांस फ्लोर पर कदम रखते ही जैसे दुनिया बदल गई। एंजल की मुस्कान और चमचमाते आँखें उस रोशनी में और भी खूबसूरत लग रही थीं। वह रात, वह माहौल और वह संगीत-सब कुछ जादुई था।
तभी कुछ दूर से लड़ाई की आवाजें आने लगीं। पार्टी में कुछ लोग आपस में उलझ गए थे। हंगामा इतना बढ़ गया कि क्लब के सुरक्षाकर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा। लेकिन इन सबके बीच, हम दोनों एक अलग ही दुनिया में थे। हमारे लिए वह शोर-गुल किसी मायने नहीं रखता था।
कौन सा नशा हम पर हावी था, कहना मुश्किल था। शायद वह जादुई शरबत था जो हमें किसी और ही दुनिया में ले गया था। उस शोर-शराबे के बीच भी हमें बस शहनाई की मधुर धुन सुनाई दे रही थी। वह धुन, जो हमारे दिलों की धड़कनों से मिलकर एक मधुर संगीत बुन रही थी। हर कदम, हर थिरकन में हमारे दिल की धड़कनें तेज़ होती गईं। पार्टी के शोर और रंगीन रोशनी के बीच, हमने एक-दूसरे की ओर खिंचते हुए खुद को गहरे चुंबन में डूबो दिया। उस क्षण, हम दुनिया से बेखबर थे, बस एक-दूसरे के थे।
पार्टी का शोर अब धीमे-धीमे थमने लगा था, जैसे कोई अधूरा गीत अपनी अंतिम धुन पर आकर खो जाए। लोग एक-एक कर जाने लगे और सन्नाटा कमरे में धीरे-धीरे पसरने लगा। लेकिन मेरे अंदर अजीब-सी बेचैनी थी, जैसे कोई रहस्य मुझे अपनी ओर बुला रहा हो। तभी एंजल ने मुझे अपनी ओर खींचा। उनके हाथों की गर्माहट ने मेरे अंदर कुछ जगा दिया, जैसे किसी गहरे कुएँ में छिपी एक लहर अचानक सतह पर आ गई हो।
उन्होंने धीरे से कहा, "आज रात मेरे सरकारी फ्लैट पर चलना।"
उनके स्वर में एक अनजाना नशा था, एक जादू, जो शब्दों से परे था। उनकी आँखों में कुछ था-एक अदृश्य खिंचाव, जिसे अनदेखा करना मेरे लिए मुमकिन नहीं था। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, पर उनकी आँखों में छिपी वह चाहत, वह अद्भुत सम्मोहन, मुझे मजबूर कर रहा था।
मैंने हिचकिचाते हुए सहमति में सिर हिलाया और वह मुस्कराईं। हम दोनों चुपचाप बाहर निकल आए, जैसे दोनों किसी अनकही साजिश का हिस्सा हों। शहर की रात भी गहरी हो चुकी थी, जैसे आसमान ने अपनी रहस्यमयी चादर फैला दी हो। सड़कों पर ख़ामोशी थी लेकिन हमारे बीच एक अजीब-सी उत्तेजना थी, जो हर कदम के साथ बढ़ती जा रही थी।
दिल्ली का एक पॉश इलाका, जहाँ ऊँची-ऊँची इमारतों की कतारें हैं। सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ तो है लेकिन इस इलाके की सुकून भरी चुप्पी उसे अलग ही पहचान देती है। रात के तीन बज चुके थे। मैं और एंजल एक शानदार अपार्टमेंट के सामने खड़े हैं।)
"यह वही फ्लैट है, है ना? तुम्हारी सहेली का?" मैंने पूछा।
"हाँ, यही है। आज वह अपने किसी काम से बाहर गई है लेकिन उसने मुझे चाबी दी है। चलो, अंदर चलते हैं।" एंजल ने सहजता से मुस्कराते हुए कहा।
दोनों फ्लैट की तरफ बढ़े। एंजल ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोला। अंदर का माहौल ठंडा था लेकिन खूबसूरती से सजी हुई चीजें और फर्नीचर की चमक से यह साफ झलक रहा था कि यह घर किसी युवती का है, जो अपने हर काम को पूरी तरह व्यवस्थित रखती है। मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ाई और देखा कि हर चीज़ करीने से रखी हुई है। दीवारों पर कुछ खूबसूरत तस्वीरें टंगी थीं, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी के उन सुनहरे दिनों की याद दिला रही थीं।
"क्या देख रहे हो? लगता है, इस घर की साज-सज्जा ने तुम्हारा दिल जीत लिया है।" उन्होंने मेरी ओर मुड़ते हुए, हल्के मज़ाकिया लहजे में कहा।
"यह जगह सचमुच बहुत अच्छी है। तुम्हारी सहेली की सजीली आदतें देखकर लगता है कि वह बहुत ही जिम्मेदार और स्टाइलिश है।"
"हाँ, वह है भी। बहुत मेहनती और व्यवस्थित। मैंने सोचा, तुमसे मिलवाऊंगी लेकिन आज वह बाहर है।" एंजल ने सोफे पर बैठते हुए कहा।
मैंने पानी का एक घूंट पिया, फिर एंजल को देखकर मुस्कराया। हमारे बीच की चुप्पी में एक अलग सी गहराई थी, जैसे दोनों किसी पुरानी याद में खो गए हों। बाहर हल्की ठंडी हवा खिड़की से अंदर आ रही थी और मैंने महसूस किया कि यह पल कितना सुकून भरा है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | यूपीएससी वाला लव – कलेक्टर साहिबा 2 | UPSC Wala Love – Collector Sahiba 2 |
Author: | Kailash Manju Bishnoi |
Total pages: | 169 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 2 ~ MB |
Download Status: | Available |

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