Free Hindi Book Brahmacharya Hi Jivan Hai In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
ऋषियों ने ब्रह्मचर्य की तपस्या के बल पर ही मृत्यु पर विजय प्राप्त की। ब्रह्मचर्य की ऐसी ही तपस्या का हमारा सांस्कृतिक-विधान आज भी हमें याज्ञवल्क्य, भारद्वाज आदि महर्षियों के पावन गुरुकुलों का सहज स्मरण दिला देता है। आज उन गुरुकुलों की जीवन कथा शेष रह गयी है तथापि हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन को सुदृढ़ और समुज्ज्वल बनाने के लिए संजीवनी देती है तथा युगों तक देती रहेगी। ब्रह्मचर्यत्व ही हमारी राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक-तेजस्विता, दैहिक-शक्ति, सामर्थ्य, पौरुष, मानसिक-जागरूकता का एकमात्र आधार है, यही है वीर्यवान् होने तथा शौर्यवान् बनने का साधन। हमारी आधुनिक पीढ़ी उस ब्रह्मचर्य के महत्व को विस्मृत करने लगी है, एतदर्थ 'ब्रह्मचर्य ही जीवन है' जैसी पुस्तक की आवश्यकता का अनुभव होना नितान्त सत्य है।
हमारे राष्ट्रीय-जीवन की समग्रता और महनीयता के आधार-शिला हैं हमारे किशोर एवं उनके जीवन-निर्माण के आश्रय शिक्षा-संस्थान। आज का समस्त जीवन क्षण-प्रति-क्षण नयी-नयी उथल-पुथल, मान्यताओं, आवश्यकताओं और आकांक्षाओं से अस्त-व्यस्त रहता है, मानव मूल्यों के प्रति सोचने की बात कौन कहे, स्व-जीवन-यापन के साधनों को जुटाने की युक्ति तक ढूँढ़ना कठिन है, फिर राष्ट्र-जीवन और उसके शौर्य का चिन्तन कौन करे। इस स्थिति में राष्ट्र-जीवन को समुन्नत बनाने के साधनों की खोज यदि सम्भव है तो मात्र शिक्षा संस्थानों और जीवन जीने की इकाइयों का विधिवत् परीक्षण-संयोजन की रीति-नीति पर आधारित ग्रन्थों के पन्नों में, अन्यत्र कदापि नहीं। हमारे शिक्षा संस्थान तो सर्वथा युग में व्याप्त विषाक्त-वातावरण से आवृत्त हैं, शिक्षा एवं चरित्र का निर्माता हमारा शिक्षक-वर्ग फिर युगबोध से अछूता कैसे रह सकता है, उसे अपनी युगीन संस्कृति को मर्यादा के अनुरक्षण की प्रेरणा यदि मिल सकती है तो राष्ट्रीय-जीवन मूल तत्वों पर आधारित ग्रन्थों से। ऐसे ही ग्रन्थों की कोटि में हम 'ब्रह्मचर्य ही जीवन है' पुस्तक की परिगणना कर सकते हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | ब्रह्मचर्य ही जीवन है | Brahmacharya Hi Jivan Hai |
Author: | Swami Shivanand |
Total pages: | 170 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 24 ~ MB |
Download Status: | Available |

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