Free Hindi Book Hum Swasth Kaise Rahen In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
गर्भाधान व प्रसव
शिशु के जन्म लेने से पहले माँ कुछ साधारण बातों का ध्यान रखे तो जन्म लेनेवाला बच्चा तथा वह स्वयं भी बहुत से रोगों से मुक्ति पा सकती है और शिशु पैदा होने तक सब क्रियाएँ आसानी से हो सकती हैं।
स्वयं पिता को भी अपने उत्तरदायित्व का ध्यान रखते हुए संयम से रहने का प्रयत्न करना चाहिए। इसको ठीक से संपन्न करने हेतु कुछ समय के लिए, विशेष तौर पर गर्भावस्था के अंतिम चरण में, अलग रह सकें तो ज्यादा अच्छा हो। यदि स्त्री इन दिनों अपने माँ-बाप के पास रह सके तो वहाँ इसकी देखरेख भली प्रकार हो सकती है; क्योंकि लड़की अपनी माँ से खुलकर बात कर सकती है और स्वयं माँ भी लड़की का दूसरों की अपेक्षा अधिक खयाल रखती है। इसका मतलब यह नहीं है कि ससुराल अच्छी होते हुए भी उसको मायके चले जाना चाहिए, यह तो सारी स्थिति को सामने रखकर ही सोचना व करना चाहिए। स्वास्थ्य के नियमों का पालन होना चाहिए।
शिशु जन्म से पहले की देखरेख
जब गर्भ चार माह का हो जाए तभी माँ को किसी अस्पताल, जहाँ जच्या-बच्चा केंद्र हो, में दिखाकर उसका कार्ड बनवा लेना चाहिए। साथ ही नियमानुसार सेंटर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। यदि माँ ऐसा करेगी और शिशु जन्म भी उसी केंद्र में होगा तो माँ व उसके परिवार के लोग सब जिम्मेदारियों से बच जाएँगे।
यदि ऐसा नहीं हो सकता है तो माँ को चार माह के गर्भ के बाद किसी डॉक्टर से अवश्य परामर्श करना चाहिए, ताकि माँ की देखरेख, रक्तचाप तथा अन्य जाँच कार्य हर पंद्रह दिन पर होते रहें। क्योंकि एक बीमारी ऐसी होती है जिसे एकलॅपसिया (Eclampsia) कहते हैं, इसका निदान इस बीमारी के स्थापित होने से पहले ही होना चाहिए। इसके मुख्य लक्षण हैं पेशाब कम आना, मुँह व पैरों पर सूजन, सिर में दर्द का लगातार रहना, भूख न लगना, जिल्ह्वा सफेद होना। ये लक्षण होते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसमें लेशमात्र भी देर नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अगर यह बीमारी हो गई तो इसका उपचार बहुत ही कठिन है, गर्भपात कराना अनिवार्य हो जाता है। फिर भी माँ का जीवन खतरे में रहता है। पर शुरू में, जिसे प्री-एकलेंपटिक (Pre-Eclamptic) दशा कहते हैं, माँ की जान बचाना अधिक सरल हो सकता है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | हम स्वस्थ कैसे रहें | Hum Swasth Kaise Rahen |
Author: | Captain Dr. K.N Johri |
Total pages: | 94 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.4 ~ MB |
Download Status: | Available |

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