कोणार्क | KONARK HINDI NOVEL BOOK PDF FREE DOWNLOAD

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

मुखशाला है। मंदिर नहीं। इसे ही सब कहते हैं कोणार्क मंदिर।

पद्मक्षेत्र या अर्कक्षेत्र कोणार्क एक तीर्थस्थान है। बंगोपसागर की तटभूमि पर पुण्यलोक नरसिंह देव ने धर्म में प्रणोदित होकर सूर्यदेव की पूजा के निमित्त विश्वविख्यात मंदिर खड़ा किया। कोणार्क सिर्फ ओड़िया जाति के भक्ति मानस का ही परिचायक नहीं, उड़िया शिल्प प्रतिभा का अक्षय स्मृति स्तंभ है। स्थापत्य के इतिहास में कोणार्क मंदिर अद्वितीय है। भग्नावशेष में भी भास्कर्य-नैपुण्य हर शिला पर विश्ववासियों को चकित कर देता है।

परंतु आज जो कोणार्क देखने आते हैं, उन में धर्मभावना या कलानुराग से बढ़कर आमोद-प्रमोद, मनोरंजन या मौज-मस्ती की वासना अधिक मुखर होती है। वे आज कोणार्क को तीर्थ या कला के दर्शन का पीठ नहीं मानते, बस आमोद-प्रमोद की जगह मानते हैं-पिकनिक स्पॉट के स्तर पर! कोणार्क मंदिर जीवन-चक्र की एक चित्ताकर्षक चित्रशाला होते हुए भी यहां खुदी सृष्टि-चक्र की प्रतीक श्रृंगाररस सम्बलित मिथुन मूर्तियां ही ज्यादातर लोगों के आकर्षण का प्रधान केंद्र रही हैं। कुछ विद्वान् तो कहते हैं कि मिथुन मूर्तियां कोणार्क कला का कलंक हैं। कुछ इन दृश्यों के प्रति मन में वितृष्णा भाव रखते हैं और कुछ तो मंदिर निर्माता, तत्कालीन सामाजिक जीवन और कलिंग शिल्पियों की विचारधारा अति निम्न स्तर की कहने से भी नहीं चूकते। परन्तु वे जिन्होंने ये मिथुन मूर्तियां इतनी खूबी से आंकी हैं, जीवन के एक युग (बारह वर्ष) कितने संयम-नियम का पालन करते रहे, यह बात कितने लोग जानते हैं? इस विचार को लेकर तो अनाड़ी हाथों से कभी "शिलालेख" (कविता) 1964 ईस्वी में लिखी थी। उसका कुछ अंश यहां देने का लोभ नहीं रोक पायी। भग्न कोणार्क मुझमें पहले ही दर्शन से एक तीव्र आलोड़न पैदा करने लगा। यह बात आज से बीस वर्ष पहले की है।

इसके बाद कई बार कोणार्क गई हूं। उसे तब जब देखा है, तो मन में विस्मित करुण स्वर क्यों बजता है, किसके लिए बजता है, नहीं जानती! हर बार कोणार्क दर्शन कर लौटते समय मैं कुछ दिन सृजन की पीड़ा में अस्थिर होती हूं। हालांकि कोणार्क मुझे इतना उद्वेलित करता कि मेरी लेखनी निस्पंद हो जाती। सोचती- भग्नावशेष में जो इतना महान् हैं उसे किस ओर से शुरू करूं? कहां होगा उसका समापन ? अतः 'कोणार्क' की परिकल्पना आज की नहीं, पिछले बीस वर्ष की है-"शिलालेख" वाले दिन से।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:कोणार्क | Konark
Author:Pratibha Ray
Total pages:212
Language: हिंदी | Hindi
Size:2.5 ~ MB
Download Status:Available


Name of the Book is : Konark | This Book is written by Pratibha Ray | The size of this book is 2.5 MB | This Book has 212 Pages | The Download link of the book "Konark " is given Below, you can downlaod Konark from the below link for free.

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