Free Hindi Book Narak Kund Me Baas In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
नरककुंड में बास जगदीशचंद्र की एक उपन्यास - त्रयी का दूसरा भाग है। पहला भाग धरती धन न अपना था, जिसकी गिनती आज हिंदी के पिछले बीस सालों में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। तीसरा भाग होगा जमीन अपनी तो थी, जिसका प्रकाशन भी अब जल्दी ही होनेवाला है। इस उपन्यास-त्रयी में एक ऐसा समाजशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया गया है जो एक ओर अपने जीवंत चरित्रों और सहज घटना-क्रम के माध्यम से कथा-प्रेमी पाठकों को बाँध लेने की क्षमता रखता है तो दूसरी ओर समाजशास्त्रियों के लिए विचारोत्तेजक सामग्री जुटाता है। और कहने को यह एक उपन्यास-त्रयी है लेकिन इसकी खूबी यह है कि हर भाग एक-दूसरे से जुड़ा होकर भी अपने में स्वतंत्र है, किसी भी एक भाग को पढ़ते हुए यह महसूस नहीं होता कि इसके अंत में अधूरापन है या इसका आरंभ किसी ऐसे बिंदु से हो गया है जहाँ से पहले की कथा जाने बिना आगे के कथा-प्रवाह और उसमें निहित लेखकीय मंतव्य को समझना कठिन हो जाये। इस दृष्टि से यह जगदीशचंद्र के कथा-कौशल का अद्भुत नमूना है।
इस उपन्यास-त्रयी के पहले भाग अर्थात् धरती धन न अपना में लेखक ने पंजाब के एक छोटे-से गाँव को केंद्र में रखकर एक ऐसे महाकाव्य की रचना की थी कि ग्रामीण जीवन का कोई पक्ष उसमें अछूता नहीं रहा था। उपन्यास के अंत में उसका केंद्रीय पात्र काली अनेक भीतरी-बाहरी दबावों के तहत गाँव छोड़ देने के लिए विवश हो जाता है। और इसी बिंदु से प्रारंभ होती है नरककुंड में बास की कथा। काली अपने गाँव से भागकर शहर पहुँचता है-शहर, जहाँ काली की तरह गाँव से भागे हुए अनगिनत लोग अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अपना गाँव छोड़ते समय इन लोगों के मन में अनेक रंगीन कल्पनाएँ रही होंगी, लेकिन शहर एक ऐसी जगह का नाम है जो तमाम बेकस लोगों के सपनों को अपनी झोली में समेटकर, जिंदगी की लड़ाई में उन्हें निहत्था छोड़ देती है। और इस प्रकार अपने घर, अपने बीवी-बच्चों से दूर होकर वे जिस यातना से गुजरते हैं और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए उन्हें जो भयानक संघर्ष करना पड़ता है उसी का मार्मिक आख्यान है यह नरककुंड में बास, जो एक प्रकार से आजादी के बाद घटित आर्थिक-सामाजिक बदलावों का औपन्यासिक दस्तावेज़ है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | नरक कुंड में बास | Narak Kund Me Baas |
Author: | Jagdish Chandra Mathur |
Total pages: | 158 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 39 ~ MB |
Download Status: | Available |

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