Free Hindi Book Shwan Puran In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
अनेक पशु प्रेमियों द्वारा या यों कहें कि कुत्ता प्रेमियों द्वारा उनके घरों में कुत्ते पाले जाते हैं। ऐसे कुत्ते पालतू कुत्ते कहे जाते हैं। धनाढ्य परिवारों में पाले जाने वाले बहुत से कुत्ते ऐसे भी होते हैं जिन्हें वे सारे सुख, वे सारी सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जो प्रायः सड़क छाप (स्ट्रीट डॉग्स) कुत्तों के लिए कुढ़न का कारण बनती हैं। तो यही सड़क छाप कुत्ते जिन्हें कोई नहीं पालता लावारिस कुत्ते कहे जाते हैं और इधर-उधर भटककर किसी तरह अपना पेट पालते हैं तथा समाज के सिर का दर्द बनते हैं। इस तरह के कुत्ते प्रायः गाँव तथा शहर दोनों ही जगह बहुलता में पाये जाते हैं। लावारिस कुत्तों की श्रेणी में वे कुत्ते भी आते हैं जो अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में पालतू रह चुके होते हैं। ऐसे कुत्ते स्वयं को लावारिस कहलाने की बजाय आवारा कहलाना अधिक पसंद करते हैं। इन कुत्तों के दिलों में इंसानों के प्रति एक प्रकार का आक्रोश व्याप्त रहता है। जिसका कारण इंसानों द्वारा उन्हें अपनाकर उनका परित्याग करना होता है। हमारी इस कथा के अधिकांश पात्र इसी वर्ग से आते हैं। और हाँ, हमारी इस कथा के कुत्ते बोलने-बतियाने वाले कुत्ते हैं। पंचायतें और सभाएँ करने वाले कुत्ते हैं। आप इन्हें केवल भौंकने वाले कुत्ते न समझें।
तो आइये चलते हैं कुत्तों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित इस रोचक और दिलचस्प कथा की यात्रा पर। अब मैं कथा प्रारंभ करता हूँ।
यूँ तो हमारी इस कथा में अनेक पात्र हैं, लेकिन कथा में एक कथानायक तो होना ही चाहिये। तो शुरुआत करते हैं हमारे कथानायक के जन्म से और चलते हैं उसकी जन्मस्थली पर, जो एक ग्रामीण इलाके में स्थित वहाँ के एक खानदानी रईस ठाकुर सहदेव प्रताप सिंह की कोठी है। इलाके में प्रारंभ से ही सहदेव प्रताप सिंह की कोठी की पहचान यहाँ पाले जाने वाले उच्च नस्ल के कुत्तों से रही है। अच्छी ब्रीड के कुत्तों का व्यापार इस कोठी की आय का एक प्रमुख स्रोत रहा है। तो इसी कोठी में एक समय एक 'लैब्राडोर रिट्रीवर' नस्ल की कुतिया ने तीन पिल्लों को जन्म दिया। पिल्ले अभी लगभग तीन सप्ताह के ही हुए थे कि कोठी में सहदेव प्रताप के भांजे एक शिक्षित व संपन्न परिवार के युवक अजीत प्रताप सिंह घूमने आए। अजीत प्रताप की दृष्टि जब उन सुंदर-सुंदर नन्हें पिल्लों पर पड़ी तो उन्होंने अपने मामा से उनमें से एक पिल्ले को पालने की इच्छा व्यक्त की। ठाकुर साहब ने कुतिया माँ की अनुपस्थिति में......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | श्वान पुराण | Shwan Puran |
Author: | Aditya Kumar Rai |
Total pages: | 124 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.8 ~ MB |
Download Status: | Available |

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