Free Hindi Book Svarodaya Vigyan In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
स्वर+उदय-स्वरोदय । स्वर के नियमपूर्वक चलाने की विद्या को स्वरोदय कहते हैं। यह अत्यन्त प्राचीन और प्रतिष्ठत विज्ञान है। संसार की विद्याओं का यह केन्द्र है। जिन प्रश्नों का बड़े-बड़े तत्त्वज्ञ और भिन्न-भिन्न धर्म यथोचित उत्तर नहीं दे सकते उनका यह शीघ्र ही समाधन कर सकता है। हिन्दू शास्त्र के अनुसार संसार पांच तत्वों से बना है, अर्थात् मूल तत्व पांच तत्वों में बँटने के पश्चात् सृष्टि की उत्पत्ति का कारण हुआ है। इनसे ही पांच तत्वों का भली-भांति ज्ञान होने से मनुष्य सृष्टि के रहस्य को समझ सकता है। श्री महादेव जी ने इस विद्या का वर्णन पार्वती से किया। जिस प्रकार हिन्दू शास्त्र के अन्तर्गत अनेक मतमतान्तरों एवं भिन्न-भिन्न विद्याओं के कर्ता महादेव जी माने गये हैं, उसी प्रकार स्वरोदय शास्त्र का प्रथम ज्ञान भी शिव-पार्वती सम्वाद के नाम से शिव-स्वरोदय में वर्णित हैं
३०० वर्ष पूर्व इसके प्रख्यात ज्ञाता श्री चरणदासजी ने हिन्दी भाषा में इसको कविता का रूप प्रदान किया। कहते हैं कि श्री व्यास पुत्र शुकदेवजी ने स्वयं चरणदासजी को इसका ज्ञान कराया था।
इस समय यह विद्या लुप्त हो रही है। लोगों का विश्वास इससे हट रहा है। परन्तु तब भी जो लोग इससे जरा भी परिचित है। वे इसके रहस्य को खूब जानते हैं। उनकी श्रद्धा को किसी प्रकार का तर्क खण्डित नहीं कर सकता। चरणदास जी का कथन है:
इस विद्या को जानने वाले तीनों काल का हाल बता सकते हैं, जो इस विद्या से खूब परिचित हैं वे अपनी मृत्यु अथवा बीमारी का हाल पहले ही मालूम कर लेते हैं। इसके अनुसार जो कार्य किया जाता है वह कभी विफल नहीं होता
स्वरो का वर्णन
स्वर तीन हैं- दाहिना (पिङ्गल स्वर), बायां (इडा स्वर) और सुषुम्णा । इडा, पिङ्गला, सुषुम्णा-तीन नाड़ियों और इन्ही के नाम से तीन प्रकार के स्वर प्रसिद्ध हैं। इडा शरीर के बार्थी और फैली हुई है इसे चन्द्र-नाड़ी कहते हैं। पिङ्गला शरीर के दाई ओर है, इसे सूर्य नाड़ी कहते हैं, सुषुम्णा नाड़ी शरीर के बीचों-बीच है। सूर्य-चक्र इसी के आधार पर स्थित है।
श्वास कभी दाहिनी नथने से ज्यादा जोर से निकलता है, कभी बायें से, कभी दोनों नासिकाओं में बराबर निकलता है। यदि स्वर बार्थी नासिका से ज्यादा आवे तो उसे इड़ा स्वर या चन्द्र स्वर कहते हैं। यदि श्वास दाहिनी नासिका से अधिक आवे तो उसे पिङ्गला या सूर्य स्वर कहते हैं। यदि श्वास दोनों नासिकाओं से बराबर निकलता है तो उसे सुषुम्णा स्वर कहते हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | स्वरोदय विज्ञान | Svarodaya Vigyan |
Author: | Datia Peetha, MP |
Total pages: | 94 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 10 ~ MB |
Download Status: | Available |

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