Free Hindi Book Varivasya Rahasyam In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
शाक्तदर्शन आगम निगम सम्मत दर्शन है जो हमारे पूर्वज मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को रहस्यमयी साधना है। वैदिक वाङ्मय में शक्तित्तत्त्व का निरूपण बडे रहस्यमय ढंग से हुआ है, जिसे दैवी प्रज्ञा सम्पन्न महापुरुष ही समझ सकते है, जिन्होंने अपनी योग्यता और श्रद्धा के द्वारा श्री गुरु परम्परा से इसे जाना है। पूज्यपाद इसी परम्परा के महापुरुष है जिन्होंने इसे इसके योग्य साधकों पर करुणा करके आगे बढ़ाया है।
अस्तु, इसी परम्परा में प्राप्त, इसके रहस्यात्मक दर्शन को बताने वाला मूर्धन्य ग्रन्थ 'वरिवस्या रहस्यम्' है जो श्रेष्ठ पूजनीय महापुरुष भास्करराय द्वारा श्लोकबद्ध और व्याख्यात हुआ है। उसी को भाव परक हिन्दी टीका सहित इसके अधिकारी बुद्धिमान अपने मातृ परिवार साधक पुरुषों के कल्याणार्थ प्रकाशित किया जा रहा है।
यह ग्रन्थ पूज्यपाद के पढ़ाने के क्रम में उनके चरणों में बैठकर ही उनके द्वारा पढ़ाये अनुसार ही हिन्दी में अनुवादित करके जैसा समझ में आया लिखा गया था। उसौ को उनकी इच्छानुसार प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है।
वस्तुतः हमारे पूज्यपाद इसी सिद्धान्त के अनुभवी महापुरुष थे। जिसके अनुसार उन्होंने पहले पंचोपनिषद आदि तमाम वैदिक एवं तान्त्रिक शास्त्रों की 'शब्दब्रह्म' परक टीकायें कीं जो स्वामी शंकराचार्य के अधूरे काम को पूरा करने वाली है। तथा उसी के अनुसार शास्त्रों की खोज करके अहह्मण पंचांग आदि इसकी साधना को अनेक विद्याओं का संकलन किया और अन्त में यह मूर्धन्य ग्रन्थ श्री विद्या के रहस्य को बतानेवाला पढ़ाया। यह ग्रन्थ उस समय कुछ विशेष कारणों से प्रकाशित नहीं हो सका। अस्तु अब इसे प्रकाशित किया जा रहा है। पुज्यपाद ने अपने पढ़ाने के क्रम में सर्वप्रथम भगवत् गीता, इसके बाद शांकर वेदान्त, योग एवं ललिता सहस्त्रनाम आदि बहुत से ग्रन्थों का पाठ अपनी अध्यापकी में करके हमारे समाज के एक बहुत बडे भाग को कृतार्थ किया है। अस्तु उन सब की जानकारी के लिये एवं उनकी अपनी साधना का रहस्यात्मक विचार भी इस ग्रन्थ के द्वारा स्पष्ट होता है।
इसको हिन्दी टीका उनके द्वारा ही लिखाई गई योजना से ही भाव परक उनका प्रसाद रूप ही प्राप्त उसकी श्रेष्ठता का रूप हैं। इसको समझकर लिखने में यदि कोई कहीं त्रुटि हमारे मातृ परिवार को दिखे तो उसे मेरे अज्ञान का कारण मानकर क्षमा करें तथा सूचित करें तो औचित्य का पालन किया जायेगा।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | वरिवस्या रहस्यम् | Varivasya Rahasyam |
Author: | Dr. Jogesh Mishra, Kishori Sharan |
Total pages: | 132 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 26 ~ MB |
Download Status: | Available |

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