Free Hindi Book Yayati In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आज से सत्तावन वर्ष पूर्व सन् 1919 में मेरा लेखन-कार्य प्रारंभ हुआ। तब मैं इस क्षेत्र में अपना स्थान बना चुके साहित्यिकों के पदचिह्नों पर चल रहा था। मेरे पूर्ववर्तियों ने काव्य, विनोद, समीक्षा और नाटक लिखने में प्रसिद्धि प्राप्त की थी। मैं भी साहित्य की इन्हीं विधाओं में अपनी कलम की शक्ति आज़मा रहा था। तब जान नहीं पाया था कि अनुसरण आत्महत्या का ही दूसरा नाम है। कारण यह था कि लेखक की हैसियत से आत्मानुभूति व्यक्त करने के लिए आवश्यक आंतरिक जागृति मुझमें तब तक सुप्तावस्था में ही थी। फलस्वरूप लगभग छह वर्ष तक मैं कविता, समीक्षा और विनोदी लेखन के तीन क्षेत्रों में ही हाथ-पाँव मारता रहा। उसके बाद के दो-एक वर्षों में मेरा एक नाटक भी रंगमंच पर आ गया।
वह तो मेरे साहित्यिक गुरु श्रीपाद कृष्ण कोल्हटकर की अप्रत्याशित कृपा थी जो मैं अपने भीतर के लेखक को खोज पाया। 1919 में एक अपूर्व धुन में मैंने एक कहानी लिख रखी थी। यह समझकर कि कहानी-लेखन अपना क्षेत्र नहीं, मैंने उस कहानी को कहीं पर भी प्रकाशन के लिए नहीं भेजा था। 1923 में एक मासिक पत्रिका के वर्षारंभ अंक के लिए मेरे पास कुछ भी साहित्य तैयार न था। मैंने डरते-डरते वही कहानी उस संपादक के पास भेज दी। संपादक को वह पसंद भी आ गई। किन्तु फिर भी मुझमें आत्मविश्वास नहीं जागा। संयोग से मेरे साहित्यिक गुरु ने कहीं उस कहानी को पढ़ लिया। उन्होंने उस कहानी के बारे में इतना अच्छा अभिमत दिया कि अपने भीतर के लेखक की मुझे एकदम नई पहचान हो गई।
1925 में पाठकों ने मुझे कहानीकार के रूप में स्वीकार कर लिया और कविता, समीक्षा, नाटक और विनोदी लेखन से मुझे जो सफलता नहीं मिली थी, वह सफलता आगामी पाँच वर्षों ने मुझे दे दी। मैं कहानीकार न हुआ होता, तो उपन्यास लेखन को पहाड़ों में सुंदर गुफा-शिल्प तराशने जैसा विकट कार्य जानकर कभी उसकी राह नहीं जाता।
कहानी और उपन्यास किन्हीं दृष्टियों से अभिव्यक्ति के भिन्न माध्यम अवश्य हैं, किन्तु फिर भी उनमें एक आन्तरिक नाता है। हर कहानीकार उपन्यासकार नहीं बनता। किन्तु अभिव्यक्ति के अन्य माध्यमों की अपेक्षा उसे उपन्यास लिखना अधिक आसान प्रतीत होता है। नदी में तैरनेवाले को समुद्र में तैरना आसान लगता है न, वैसे ही !
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | ययाति | Yayati |
Author: | Vishnu Sakharam Khandekar |
Total pages: | 322 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 3 ~ MB |
Download Status: | Available |

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