Free Hindi Book Selling Me Asfalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha In Pdf Download
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पुस्तक कैसे पहुँचा का संक्षिप्त विवरण:
किस तरह एक विचार ने मेरी आमदनी और सुख को कई गुना बढ़ाया
प्रोफेशनल बेसबॉल खिलाड़ी बनते ही मुझे अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा झटका लगा। यह 1907 के बात है। मैं ट्राई-स्टेट लीग में पेनसिल्वेनिया के जॉन्स्टाउन के तरफ से खेल रहा था। मैं युवा था, महत्वाकांक्षी था, में शिखर पर पहुंचना चाहता था और हुआ क्या? मुझे वहाँ से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया! अगर में मैनेजर के पास जाकर उससे यह नहीं पृछता कि उसने मुझे टीम से बाहर क्यों निकाला तो शायद मेरी जिंदगी का नक्शा कुछ और ही होता। दरअसल अगर मैने उससे वह सवाल नहीं पूछा होता तो मुझे आज यह पुस्तक कैसे पहुँचा लिखने का दुर्लभ अवसर भी नहीं मिलता।
मैनेजर ने बताया कि उसने मुझे टीम से बाहर इसलिये किया था क्योंकि में आलसी था! मैं और आलसी में इस बात के कल्पना भी नहीं कर सकता था और मुझे यह सुनने के कतई उम्मीद नहीं थी।
"तुम मैदान में इस तरह घिसटते हुए चलते हो जैसे तुम्हें फुटबॉल खेलते-खेलते बीस माल हो चुके हैं." उसने मुझे बताया। "तुम इस तरह का व्यवहार क्यों नहीं करते जिससे यह पता चले कि तुम आलसी नहीं हो।"
मैंने कहा, "देखो, बर्ट, में इतना नर्वस होता हूँ, इतना डरा हुआ होता हूँ कि में अपने डर को जनता से और खासकर टीम के दूसरे खिलाडियों से छुपाना चाहता है। इसके अलावा, मैं यह भी सोचता था कि अगर में बीज़ों को आराम से लूँगा तो मेरी नर्वसनेस दूर हो जायेगी।" "फरेक," उसने कहा, "इससे कोई फायदा नहीं होगा। तुम्हारे पिछड़ने का यही कारण है। यहाँ से जाने के बाद तुम कहीं भी जाओ, पर भगवान के लिये, जाग जाओ और अपने काम में थोड़ा ज्यादा उत्साह और जोश लाओ।"
में जॉन्स्टाउन में हर महीने 175 डॉलर कमा रहा था। वहाँ से निकाले जाने के बाद में अटलांटिक लीग में पेनसिल्वेनिया के बेस्टर में चला गया जहाँ वे मुझे हर महीने सिर्फ 25 डॉलर दे रहे थे। इतने कम पैसे मिलने पर ज्यादा उत्साहित होने के मेरे पास कोई वजह नहीं थी, परंतु मैंने उत्साही होने का अभिनय किया। जब मुझे वहाँ तीन दिन हो गये तो एक पुराना खिलाड़ी डेनी मीहन मेरे पास आया और उसने मुझसे कहा: "फफ्रैंक, तुम इस घटिया लीग में क्या कर रहे हो?"
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | मैं सेलिंग में असफलता से सफलता तक कैसे पहुँचा | Selling Me Asfalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha |
Author: | Frank Bettger |
Total pages: | 140 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.3 ~ MB |
Download Status: | Available |

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